पैर और चप्पल – Akbar and Birbal stories in Hindi
बीरबल जी राज्य में बहुत प्रसिद्ध थे अपने आस्था के लिए और साथ ही साथ दान , पुण्य करने में इसके बावजूद उन्हें किसी चीज़ की कमी नहीं थी , मगर वह इस बात का भी ध्यान रखते की कोई ढोंगी उन्हें लूट ना ले ,किया हुआ जब शहंशाह अकबर और सभी दरबारी ने बनाई योजना ,पढ़े ये ( पैर और चप्पल-Akbar and Birbal stories ) की मजेदार कहनी हिन्दी मैं ,

एक बार की बात है सभी दरबारी और शहंशाह अकबर मिलकर एक योजना बनाते है वह यह देखना चाहते है कि बीरबल सच्चे दीन : दुःखियों की पहचान कर पाते है या नहीं , वह अपने खास सैनिक को वेश बदला कर जाने को कहते है और कहते अगर तुम बीरबल से कुछ भी ले आते हो तो हम तुम्हे इनाम देंगे ।
अगले दिन ,
बीरबल मंदिर में पूजा कर रहे होते है , तभी वह सैनिक वेश बदलकर आते है काटे – पुराने कपड़े पहने के और अपना शरीर पे मिट्टी लगा के ताकि बीरबल उन्हें बिल्कुल भी पहचान ना पाए ,
बीरबल जब पूजा कर के निकल रहे होते है तभी वह सैनिक कहता है ,
हुजूर कृपया कुछ दान करें में और मेरा पूरा परिवार कुल 6 दिनों से भूखा है ,
बीरबल उस व्यक्ति को पूरा ऊपर से नीचे देखते है और मन ही मन में मुस्कुराने लगते है ,
और बिना कोई उत्तर दिए बैगर आगे बढ़ने लगते तभी वेह सैनिक आता है और कहता है,
हुजूर कुछ सहायता करे , कहते है जब आप किसी भूखे को कुछ खिलाएंगे तो यह अवश्य यह आपका पुण्य होगा ,
बीरबल जी एक नदी पार कर के जाने लगे तभी वह सैनिक भी आने लगा और साथ ही साथ उसने अपनी कटी हुई चप्पल उतार कर हाथ में ले ली , मगर वह अपने चप्पल को अच्छे से नहीं रख पा रहे थे ऐसा जैसे उनके शरीर मैला हो जाएगा , जैसे ही नदी पार की बीरबल जी ने देखा उसके पैर साफ – सुथरा हो गया , उसके पैर मुलायम , गोरी चमड़ी दिखने लगी यह सब बीरबल जी ने ध्यान दिया ।
और नदी पार करने के बाद कंकरीले मार्ग आया फिर वह दो चार क़दम चलने के पश्चात् ही अपने चप्पल पहेन ली , बीरबल जी ने ये भी ध्यान दिया
सैनिक : हुजूर आपने इस दीन दुःखिय की पुकार नहीं सुनी ,
बीरबल : मुझे जो पापी बनाए उसकी पुकार कैसे सुन सकता हूं
सैनिक : आप मेरे सहायता कर पापी हो जाएंगे ?
बीरबल : जी हां ,
शास्त्रों और पुराण में लिखा है बच्चे के पैदा होने से पहले ही भगवान उनके मां के स्तनों में दूध दे देता है , और उनके भोजन की व्यवस्था भी कर देता है, और साथ ही यह कहा जाता है कि भगवान किसी को भूखा जरूर उठता है मगर कभी भूखा सुलता नहीं , इसके बावजूद आप कह रहे है कि आप ने छह: दिनों से कुछ नहीं खाया इसका इशारा साफ है भगवान आपसे रूष्ट है किसी कारण वाश , और में उनका सेवक हु आपकी सहायता कर में भी पापी का भागीदार हों जाऊंगा ,
यह जवाब सुन वह सैनिक चला गया ,
अगले दिन ,
शहंशाह अकबर : बीरबल हमने सुना आप बहुत दान – पुण्य करते है किन्तु कल आपने एक दीन दुःखिय को खाना नहीं खिलाया ,
जहांपनाह , वह एक ढोंगी था और मुझे यह भी पता है , उसे आपने ही भेजा था मेरी परीक्षा लेने के लिए ,
शहंशाह अकबर ( चौकते हुए ) : तुम्हे कैसे पता , बीरबल !
बीरबल : जहांपनाह मेने यह उसके पैर और चप्पल से जाना , हलकिं उसने बहुत अच्छा वेशभूषा बदला ,
मगर उसके काटे हुए चप्पल कीमती थे , अब इस तरह से समझा जाए कि उसे वह चप्पल भीख में मिल सकती है मगर , जब हमारे साथ उसने नदी पार करी , तो उसके मुलायम , साफ – सुथरा और गोरी चमड़ी के पैर थे , और कांक्रीले मार्ग पे दो कदम चलते ही उसने चप्पल पहेन ली , जिससे यह मालूम हुआ वह दर्द ना सहेन कर पा रहे थे , जिससे यह साफ तय हो गया वह एक ढोंगी है ,
वह दरिद्र नहीं बिल्कुल किसी अच्छे कुल का खाता कमाता पुरुष है ।
शहंशाह अकबर :क्यों ना हो , वह हमरे शाही सैनिक जो है , वोह ! बीरबल हम मान गए हम, तुम्हे बेवकूफ बनना आसान नहीं ,
बीरबल : जी जहांपनाह !

कहानी से सीख :-
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि अपने सूझ बुझ से हम हर एक समस्या से निकल सकते है और साथ ही साथ सामने वाले के व्यक्ति को परख भी सकते है जैसे बीरबल जी ने नदी पार किया तो साथ ही उस सैनिक ने भी नदी पार करी , और उसके पैर मुलायम , साफ सुथरा और गौरी चमरी देख बीरबल समझ गए यह वेशभूषा बदला एक ढोंगी है ।
निष्कर्ष :
दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको “पैर और चप्पल – Akbar and Birbal stories in Hindi ,” शीर्षक वाली यह Akbar and Birbal Stories पसंद आई होगी। ऐसी और भी Akbar Birbal stories की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे.