बैल का दूध : अकबर बीरबल की कहानी

कुछ दिनों के लिए बीरबल पड़ोसी राज्य में कुछ कार्य के लिए जाते है , उसके अगले दिन से ही सभी दरबारी शहंशाह अकबर के कान भरने लगते है ,
जहांपनाह , बीरबल ऐसा है वैसा है ,
और ऐसे ही एक दरबारी कह देते है जहांपनाह क्यों ना बीरबल को परखा जाएं,
शहंशाह अकबर : कैसे ?
दरबारी : क्यों ना बीरबल को बैल का दूध लाने को कहा जाए !
शहंशाह अकबर : बैल का दूध !
शहंशाह अकबर ( मन ही मन सोचते है ) : ठीक है , बीरबल तक यह संदेश भेजा जाए ,
अब शाम के समय ,
जब बीरबल शाम को पड़ोसी राज्य से लौट ते है तो एक सिपाही उन्हें शहंशाह अकबर का संदेश देते है ,
बीरबल : बैल का दूध ! और थोड़ी देर बाद सिपाही को कहते है ठीक आप अभी जाए !
बीरबल ने अपनी पुत्री को बुलाया और कुछ बातें करने लगे !
अब आधी रात के समय ,

शहंशाह अकबर गहरी नींद में सो रहे थे , तभी अचानक कुछ आवाजें आती है , *** यह आवाज पत्थर पे कुछ रगड़ने की थी ,
शहंशाह अकबर तुरंत सिपाहियों को कहा देखो कौन है वहां और हमारे पास लाओ उसे !
जब सिपाही जाते है तो देखते है कुएं के पास एक लड़की अपने कपड़ों को पत्थर पे पीट के धो रही थी सिपाहियों ने उसे आवाज दी मगर वह बहुत मगन थी अपने काम में ,
सिपाही उसे पकड़ कर शहंशाह अकबर के पास ले गए ,
शहंशाह अकबर लड़की को देख : तुम तो बीरबल की पुत्री हो ?
लड़की : जी !
शहंशाह अकबर : क्या तुम्हे पूरे दिन कपड़े धोने का समय नहीं मिला जो आधी रात को धो रही हो !
लड़की : जहांपनाह ! मेरी माता मायके गई है , और मेरे पिता ने आधी रात को शिशु को जन्म दिया है इसी कारणवश मुझे यह गंदे कपड़े धोने आधी रात को आना पड़ा !
शहंशाह अकबर के साथ- साथ सिपाही भी सोच में पड़ गए !
शहंशाह अकबर ( धीरे – धीरे बोलते है ) : तुम्हारे पिता ने शिशु को जन्म दिया है ! क्या है यह ? आख़िर कोई पुरुष कैसे किसी शिशु को जन्म दे सकता है ,
लड़की : जहांपनाह ! आज के समय में कुछ भी मुमकिन नहीं है ,सुना है बैल का दूध भी मिलने लगा है !
शहंशाह अकबर : थोड़ा सोचते है और हंसने लगते है ,
वोह बीरबल ! तुम्हारा कोई जवाब नहीं , और अगली सुबह यह किस्सा सभी दरबारियों को बताते है ! यह कहानी यहां समाप्त होती है ,धन्यवाद !
बैल का दूध का अर्थ :
“बैल का दूध ” एक व्यावहारिक रूप से असंभव या मज़ाकिया वाक्यांश है,कहानी में इसे एक कठिन चुनौती की तरह इस्तेमाल क्या गया है !
सोने का खेत – Akbar and Birbal stories for kids

एक बार शाही बावर्ची शहंशाह अकबर के लिए उनके मनपसंद खाना बना रहे थे मगर उन से खाने में गलती से ज्यादा नमक गिर गया , उस बावर्ची ने ज्लदी ज्लदी दूसरा खाना बनाकर पेश किया शहंशाह अकबर ने पूछा आज तो हमरा मनपसंद खाना बनने वाला था भिंडी की सब्जी मगर आज यें दूसरी सब्जी क्यों बनाई ,
बावर्ची : जी जहांपनाह! थोड़ा घबराते हुए बोला जहांपनाह वह भिंडी खतम हो गई थी !
शहंशाह अकबर : क्या ! ऐसा नहीं हो सकता
बावर्ची : जहांपनाह माफी , वह सब्जी में ज्यादा नमक गिर गया जिस कारण आज यह दूसरी सब्जी बनाई ,
शहंशाह अकबर : क्या झूठ बोला तुमने , एक बार तो हम तुम्हे इस लिए माफ कर देते कि गलती से तुम से नमक ज्यादा गिर गया ,मगर झूठ के लिए कतई नहीं ,
निकल जाओ हमारी सल्तनत से हम तुम्हे देश निकला देते हैं,
यह सारी कहानी शहंशाह अकबर दरबार में सभी दरबारी को बता रहे थे ,
और कहा इस तरह हमनें उसे झूठ बोलने की सजा दी और देश निकला दिया
आप लोग किया कहते है हमने सही किया !
सभी दरबारी जी जहांपनाह , आपने सही किया !
शहंशाह अकबर : हमे झूठ बोलने से सख्त नफरत है और सभी दरबारियों से पूछा हमे भी आशा है आप लोगों ने भी कभी झूठ नहीं बोला होगा !
सभी दरबारी : जी जहांपनाह ! झूठ बोलना तो अपराध है, ऐसा कह कर सब ने हा में सर हिलाया ।
जब शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा तो बीरबल ने कहा
बीरबल : जहांपनाह , मैने झूठ बोला है ,
शहंशाह अकबर : यह किया कह रहे है आप , हमें नहीं पता था हमरे नों रत्नों में से एक झूठा भी है ,
बीरबल ( बचाव करते हुए ) : जहांपनाह ! हमे लगता है किसी भले के लिए झूठ बोलना कोई गलत नहीं , और हमे लगता है हर किसी ने कभी ना कभी झूठ बोला ही होगा !
शहंशाह अकबर : निकल जाए आप इस दरबार से..Read More
निष्कर्ष :
दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको ” बैल का दूध : अकबर बीरबल की कहानी – Akbar Birbal Stories ” शीर्षक वाली यह “Akbar and Birbal Stories” पसंद आई होगी , ऐसी और भी “अकबर बीरबल की कहानी “, ” Birbal Ke Kisse” की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे , धन्यवाद !
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