मूर्खो की सूची

जब दरबार की सभा खतम होने वाली होती है तब शहंशाह अकबर कहते है यह कितनी अच्छी बात है कि हमारे सल्तनत में आप जैसे बुद्धिमान और सुलझे हुए लोग है , इस सभा में जो भी समस्या आती है बिना विचार- विमर्श किए बगैर आप , लोगों से हम फैसला नहीं लेते और हमारे नौं रत्नों की भी एक अलग खास बात है ,
मगर साथ ही साथ हम यह भी जानना चाहते है हमारे सल्तनत के मूर्ख लोगों को जो हमारे सल्तनत के सब से बड़े मूर्ख हो !
शहंशाह अकबर : बीरबल हम चाहते है आप मूर्ख लोगों की सूची बनाए छ: लोगों की जो हमारे सल्तनत के सब से बड़े छ: मूर्ख होंगे ,
बीरबल : मूर्खो की सूची ! जैसा आप कहें जहांपनाह ,
शहंशाह अकबर : हमे आशा है बीरबल मूर्खो लोगों की सूची आप ज्लद ही तैयार कर लेंगे ,
बीरबल : जी जहांपनाह,
अब अगली सुबह ,
बीरबल निकल पड़ते है मूर्खो की खोज में ,
बीरबल जब घोड़े पे सवार होकर निकलते है तो एक जंगल से गुजरते है , उन्हें रास्ते में एक व्यक्ति दिखता है जो गधे पे बैठा हुआ था और अपनी घास की गठरी को अपने सर पे रखा था ,
बीरबल : रुको ! तुम कोन हो और ऐसे यह गठरी अपने सर पे क्यों रखी है तुमने ?
श्याम : में शयम हु , मुझे लगा कि ज्यादा बोझ उठाने से मेरा गधा थक जाएगा तो मै इस पे बैठ गया और घास की गठरी अपने सर पे रख ली ताकि इसका बोझ थोड़ा हल्का हो जाए ,
बीरबल ( मन ही मन ) : चलो एक मूर्ख तो मिल गया
बीरबल : एक काम करो तुम मेरे साथ दरबार चलो में बादशाह अकबर से तुम्हे इनाम दिलवाऊंगा जानवर के प्रति प्रेम भाव के लिए ,
अब श्याम आगे बीरबल के साथ चल दिया ,
अब जब जंगल का सफर कर वह थोड़ा आगे बढ़ते है तब उन्हें दो व्यक्तियों की लड़ने की आवाज आती है ,
बीरबल : रुको , रुको क्यों लड़ रहे हो तुम , और कोन हो तुम दोनों
दोनों व्यक्ति : मेरा नाम हरी है और इसका नाम शेरा है यह अपना शेर मेरी गाय पे छोड़ देगा और मरवा देगा इसीलिए हम दोनों लड़ रहे है ,
बीरबल ( चौकते हुए ) : शेर ! गाय ! कहां है मगर ?
दोनों व्यक्ति : जब हमे भगवान वरदान देंगे तो में गाय मांगूंगा और यह शेर तो यह मेरी गाय पे आपना शेर छोड़ देगा ,
बीरबल : तुम दोनों का ऐसा प्रेम भाव भगवान के लिए हमें अच्छा लगा आप दोनों मेरे साथ चलो में आप दोनों को बादशाह अकबर से इनाम दिलवाऊंगा
और दोनों चल दिए ,
अब शाम हो गई थी तो बीरबल ने कहा आप लोग आज की रात हमारे घर पड़ रहे अगली सुबह हम आप लोगों को दरबार में इनाम दिलवाएंगे यह कह कर शाम को बीरबल कहीं और निकल गए ,
उन्होंने देखा की रास्ते में एक व्यक्ति कुछ ढूंढ रहा उनसे बीरबल ने पूछ आप किया ढूंढ रहे हो ,
उसने बताया मेरे कुछ सिक्के वहां गिर गए है तो में उन्हें यहां रोशनी में ढूंढ रहा हूं क्योंकि वहां रोशनी नहीं है ,
बीरबल ( मन ही मन ) : कोई कमी ही नहीं मूर्खो की
बीरबल : एक काम करो कल तुम मेरे साथ दरबार चलो में तुम्हे बादशाह अकबर से वह सिक्के दिलवा दूंगा ,
अब अगली सुबह ,
शहंशाह अकबर : बीरबल किया इतने लोग मूर्ख है हमरी सल्तनत में आपको एक ही दिन में सारे मूर्ख मिल गए और कैसे आप कहें सकते है यह लोग मूर्ख है !
बीरबल : वह सारी बात बताई जंगल का सफर श्याम से मिलना , हरी और शेरा की लड़ाई और सिक्कों को कहीं और ढूंढना
शहंशाह अकबर : बीरबल मगर यह तो केवल चार ही हुऐ बाकी के दो कहां है ,
बीरबल : छ: मूर्ख यही है , जहांपनाह !
शहंशाह अकबर : कहां है बीरबल ?
बीरबल : जी जहांपनाह , पांचवा मूर्ख में हु !
शहंशाह अकबर : मगर तुम , तुम कैसे मूर्ख हो बीरबल ?
बीरबल : में इसीलिए मूर्ख हु जहांपनाह क्योंकि में इन मूर्ख लोगों की खोज में निकला ,
शहंशाह अकबर : अब हमे डर लग रहा है बीरबल , वह आखरी मूर्ख का नाम सुनने में मगर फिर भी आप बताए ,
बीरबल : जहांपनाह वो आप ही है
शहंशाह अकबर : पहले थोड़े गुस्से हो कर बीरबल को देखने लगे मगर
फिर वह बीरबल तुम्हरा कोई जवाब नहीं ,
और शहंशाह अकबर हसने लगे और सभा खतम हुई ।

निष्कर्ष :
दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको यह ” मूर्खो की सूची – The list of fools : Akbar Birbal ki kahani ” शीर्षक वाली यह Akbar Birbal ki Kahani मूर्खो की खोज की कहानी पसंद आई होगी , ऐसी और भी Birbal Ke Kisse की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे.