Murkho ki suchi
Akbar Birbal Ki Kahaniyan

मूर्खो की सूची – The list of fools : Akbar Birbal ki Kahani

शहंशाह अकबर एक बार दरबार में कह रहे थे कि आप सब लोग बुद्धिमान है , और हमारी सल्तनत के लिए यह आवश्यक भी है ताकि जब हम किसी मुसीबत में फंसे तो आप लोगों से विचार – विमर्श कर सके ,
मगर अब हम कुछ मूर्ख लोगों की भी देखना चाहते है ताकि हम अपना माहौल बदल सके ,
शहंशाह अकबर : बीरबल यह कार्य हम तुम्हे सौंप ते है ,
बीरबल : जी , जहांपनाह !

अगली सुबह दरबार में दूर-दूर शहरों और देशों से लोग व्यापार करने आए हुए थे बादशाह अकबर घोड़ों में काफी दिलचस्पी रखते थे साथ ही वह घोड़े की सवारी करना भी अच्छा लगता था , जिन घोड़े में उन्हें रुचि रहते थी वह अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए खरीद लेते थे और बाकी बचे हुए अपनी सेना के लिए ,
मगर एक बार एक अंजान व्यपरी आया अपने मजबूत और तंदुरुस्त घोड़े ले कर बादशाह अकबर ने उन्हें खरीद ने के लिए राज़ी हो गए

अंजान व्यपारी : शहंशाह अकबर अगर आप कहें तो हम आपके लिए कई घोड़े ऐसे ला सकते ,
शहंशाह अकबर : हां जरूर आप 100 घोड़े लाए,
अंजान व्यापारी : मगर जहांपनाह , शर्त यह है कि आप आधी रकम हमे पेशगी में दे ,

अब शहंशाह अकबर को घोड़े काफी आकर्षित और मजुबत लगे तो वह मंजूरी दे देते है ,

वह अपने ख़ज़ानची कह देते है , और उस अंजान व्यापारी को आधी रकम आदा करने को बोल देते है ,
अब वह अंजान व्यापारी खजाने की और बढ़ता ख़ज़ानची के साथ ,

सभी दरबारियों को यह सौदा उचित नहीं लग रहा था , मगर शहंशाह अकबर के आगे किसी की हिम्मत नहीं थी बोलने की ।

मगर बीरबल खड़े होते और कहते है जहांपनाह ,
आपने हमे कुछ दिन पहले मूर्ख लोगों की सूची तैयार करने की लिए कहा था हमे अफसोस है कि उस सूची में आपका नाम सब से उपर है

शहंशाह अकबर पूरी तरह गुस्से ही गए वह मन ही मन सोचने लगे पूरे दरबार में बीरबल ने हमें मूर्ख कहा है ,

बीरबल : गुस्ताखी माफ , जहांपनाह ! आप चाहे तो हमारा सर धिर से अलग कर दे मगर ,
किसी अंजान से इस तरह व्यापार करना सही नहीं आप आधी रकम उस अंजान व्यक्ति को पेशगी में दे रहे है , हो सकता है वो ना आए यहां वापस या दूसरे देश में चले जाए जिसका कोई पता तक नहीं है हमारे पास उसे कैसे हम इतनी रकम पहले सौंप सकते है ,

शहंशाह अकबर : अपने सिंहासन से उठे और बीरबल की तरह बढ़ने लगे ,
सारे दरबारी भी परेशान हो गए आस पास के व्यक्ति में यह डर हो गया कि अब तो बस बीरबल का सर धिर से अलग हो जाएगा
शहंशाह अकबर बीरबल के कंधे पे अपना हाथ रखते है और कहते है बीरबल ,
तुम सही कह रहे हो बीरबल और अपने ख़ज़ानची को कहते है वह रकम व्यापारी को ना दे अभी ,
अब
शहंशाह अकबर ( हस्ते हुए ) : बीरबल अब तो हमरा नाम नहीं है ना मूर्खो की सूची में ,
बीरबल : नहीं जहांपनाह , आपने सही फैसला लिया है ,

Akbar Birbal Ki Kahaniyan
Akbar Birbal ki Kahani

निष्कर्ष : 

दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको यह ” मूर्खो की सूची – The list of fools : Akbar Birbal ki kahani ” शीर्षक वाली यह Akbar Birbal ki Kahani मूर्खो की खोज की कहानी पसंद आई होगी , ऐसी और भी Birbal Ke Kisse की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे.

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