Akbar birbal ki kahani

सोने का खेत – Akbar and Birbal stories for kids

सोने का खेत

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सोने का खेत

एक बार शाही बावर्ची शहंशाह अकबर के लिए उनके मनपसंद खाना बना रहे थे मगर उन से खाने में गलती से ज्यादा नमक गिर गया , उस बावर्ची ने ज्लदी ज्लदी दूसरा खाना बनाकर पेश किया शहंशाह अकबर ने पूछा आज तो हमरा मनपसंद खाना बनने वाला था भिंडी की सब्जी मगर आज यें दूसरी सब्जी क्यों बनाई ,

बावर्ची : जी जहांपनाह! थोड़ा घबराते हुए बोला जहांपनाह वह भिंडी खतम हो गई थी !
शहंशाह अकबर : क्या ! ऐसा नहीं हो सकता
बावर्ची : जहांपनाह माफी , वह सब्जी में ज्यादा नमक गिर गया जिस कारण आज यह दूसरी सब्जी बनाई ,
शहंशाह अकबर : क्या झूठ बोला तुमने , एक बार तो हम तुम्हे इस लिए माफ कर देते कि गलती से तुम से नमक ज्यादा गिर गया मगर झूठ के लिए कतई नहीं ,
निकल जाओ हमारी सल्तनत से हम तुम्हे देश निकला देते हैं,

यह सारी कहानी शहंशाह अकबर दरबार में सभी दरबारी को बता रहे थे ,
और कहा इस तरह हमनें उसे झूठ बोलने की सजा दी और देश निकला दिया
आप लोग किया कहते है हमने सही किया !

सभी दरबारी जी जहांपनाह , आपने सही किया
शहंशाह अकबर : हमे झूठ बोलने से सख्त नफरत है और सभी दरबारियों से पूछा हमे भी आशा है आप लोगों ने भी कभी झूठ नहीं बोला होगा !

सभी दरबारी : जी जहांपनाह ! झूठ बोलना तो अपराध है ऐसा कह कर सब ने हा में सर हिलाया ।

जब शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा तो बीरबल ने कहा
बीरबल : जहांपनाह , मैने झूठ बोला है ,
शहंशाह अकबर : यह किया कह रहे है आप , हमें नहीं पता था हमरे नों रत्नों में से एक झूठा भी है ,

बीरबल ( बचाव करते हुए ) : जहांपनाह ! हमे लगता है किसी भले के लिए झूठ बोलना कोई गलत नहीं , और हमे लगता है हर किसी ने कभी ना कभी झूठ बोला ही होगा !

शहंशाह अकबर : निकल जाए आप इस दरबार से हम आपकी सूरत भी नहीं देखना चाहते निकल जाए

और इस तरह से बीरबल उदास हो कर निकल गए दरबार से और सभी दरबारी खुश हो गए बीरबल के जाने से ।

अपने घर में बैठे – बैठे बीरबल कुछ सोच ही रहे थे तब उन्हें जमीन पे एक धान का टुकड़ा दिखता है,

उन्होंने अपने सेवक को बुलाया और उस धान को देते हुए कहा बिलकुल ऐसा होना चाहिए ,
ऐसा कुछ कहां और

अब अगली सुबह ,

बीरबल दरबार में उपस्थित हुऐ,
शहंशाह अकबर बोले बीरबल आप यहां किया कर रहे है हमे आपकी सूरत भी नहीं देखनी
बीरबल : जहांपनाह , मुझे ऐसा कुछ मिला है कि जिससे हमारे राज्य में बेशुमार धन – दौलत हों सकता है,

उन्होंने शहंशाह अकबर को एक धान का टुकड़ा दिया ,
शहंशाह अकबर : यह ! यह तो सोने का है

बीरबल : जी जहांपनाह ! यह मुझे एक बहुत बड़े संत ने दिया है , इसे अगर हम किसी अच्छी उपजाऊ ज़मीन पे लगाए तो सोने की खेती करने में हम सफल रहंगे,

शहंशाह अकबर ( चौकते हुए बोले ) : यह तो बहुत बड़ी बात होगी ,बीरबल आप शीघ्र ही उपजाऊ ज़मीन देख इसे बो दे,

अगली सुबह ,
सभी दरबारी , शहंशाह अकबर और बीरबल एक उपजाऊ ज़मीन पे उपस्थित हुऐ ,

शहंशाह अकबर : बीरबल इसे ज्लद से ज्लद बो दे ,
बीरबल : जहांपनाह, में इसे नहीं बो सकता ,
इसे केवल वहीं व्यक्ति बो सकता है जिसने आपने जीवन में कभी झूठ ना बोला हों ,

शहंशाह अकबर ने सभी दरबारी को कहां आप आए और इसे बो दे ,
मगर सभी दरबारियों ने अपने सर नीचे कर लिए
शहंशाह अकबर : हमे यकीन नहीं होता आप सबने झूठ बोला है ,

बीरबल : जहांपनाह, अब एक सिर्फ आप ही जो नेक और सच्चे है इसे आप ही बो दे ,
शहंशाह अकबर ( घबराते हुए ) : क्या , हम ! हमे लगता है हमने भी कभी ना कभी झूठ बोला ही होगा शायद अपने बचपन में ,

बीरबल : देखा जहांपनाह , हर एक व्यक्ति कभी ना कभी झूठ बोलता ही है ,
शहंशाह अकबर : हां, हम सहमत है तुम्हारी बात से मगर अब इस धान का किया ?
बीरबल : जहांपनाह यह नकली है यह किसी संत ने नहीं दिया हमें, बल्कि एक अच्छे सोनार से हमने धान सोने की तरह बनवाया ताकि यह सब साबित कर सके ,
सभी दरबारी चौंक गए और शहंशाह अकबर हस्ते हुए बोले बीरबल तुम्हारा कोई मुकाबला नहीं ,
बीरबल : जी जहांपनाह !

निष्कर्ष : 

दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको ” सोने का खेत – Akbar and Birbal stories ” शीर्षक वाली यह Akbar and Birbal Stories पसंद आई होगी , ऐसी और भी Birbal Ke Kisse की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे.

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