एक बार की बात है सभा शुरू होने वाली होती है , सभी दरबारी और शहंशाह अकबर उपस्थित हो गए ,
किंतु बीरबल नहीं थे और वह थोड़ा देरी से आते है ,
सभी दरबारी शहंशाह अकबर के कान भरते हुए कहते है
जहांपनाह यह बीरबल हमेशा देरी से आते है और अब ज्लदी घर को रवाना हो जाते है ,

शहंशाह अकबर ( बीरबल से पूछते हुए ) : बीरबल आपके देरी से आने की वजह ?
बीरबल : जहांपनाह मेरे बच्चे आज मुझे रोक रहे थे वह यह कह रहे थे कि आज में दरबार में ना जाऊं , बहुत मुश्किल से उन्हें समझा कर आया हु ,
शहंशाह अकबर : आपके इस उत्तर से हमें प्रसन्न नहीं है बीरबल किसी भी बच्चे को समझना इतना मुश्किल नहीं होता ,
बीरबल : जहांपनाह, बच्चे पें गुस्सा करना और फटकार लगाना अलग बात है , उन्हें प्यार से समझाने के लिए समय चाहिए ,
शहंशाह अकबर : कैसी बेतुकी बात कर रहे हो बीरबल ! मेरे पास कोई भी बच्चा लाओं में उससे बड़ी आसानी से समझा दूंगा
बीरबल : जी हुजूर , में ही बच्चा बन जाता हूं और आप मुझे एक पिता भांति समझाए ,
बीरबल एक बच्चे की तरह हरकते करने लगे वह कभी इधर घूमने लगे तो कभी उधर घूमने लगे सभी दरबारियों को परेशान करने लगे और अपनी पगड़ी नीचे फेंक दी फिर शहंशाह अकबर के गोद में जा के बैठ गए और उनकी मूंछें से खेलने लगे ,
शहंशाह अकबर बोले आप अच्छे बच्चे हो ऐसे शरारत नहीं करते ,
इस बात पे बीरबल और रोने लगे ,
फिर शहंशाह अकबर ने कहां मिठाई खायेगा बेटा , उन्होंने एक सिपाही को आदेश दिया ,
मगर बीरबल रोते ही रहे और जोर ज़ोर से चिल्लाने लगे ,
शहंशाह अकबर परेशान हो गए मगर उन्होंने अपना धैर्य बनाए रखा , और बोला अरे मेरा बच्चा किया चाहिए आपको ,खिलौना ! खिलौना चाहिए
बीरबल रोते हुए बोले में तो गन्ना खाऊंगा ,
शहंशाह अकबर ने एक सिपाही को आदेश दिया ,
एक गन्ना दिया ये लो बेटा ,
बीरबल बोले नहीं मुझे बड़ा गन्ना नहीं चाहिए , में तो छोटे-छोटे टुकड़े कर के गन्ना लूंगा ,
शहंशाह अकबर ने एक सिपाही को आदेश दिया ,
बीरबल बोले नहीं आप काटेंगे गन्ना ,
अब शहंशाह अकबर कुछ कर भी नहीं सकते थे वह इसमें फस गए थे और खुद ही गन्ना काटते है ,
और कहते यह लो बेटा खा लो ,
बीरबल फिर बोले नहीं मुझे बड़ा गन्ना चाहिए ,
फिर एक सिपाही को शहंशाह अकबर ने आदेश दिया और एक साबूत गन्ना दिया बीरबल फिर रोने लगे नहीं मुझे तो इन छोटे – छोटे गाने से बड़ा गन्ना चाहिए ,
शहंशाह अकबर यह सुन बोले यह कैसे संभव है ,
शहंशाह अकबर क्रोध में बोल शांत हो जाऊं नहीं तो मार पड़ेगी ,
अब बीरबल ने बच्चा बनना बंद किया और कहा देखा हुजूर , आप क्रोध में मारने पड़ आ गए ,
शहंशाह अकबर : हां , बीरबल हम सहमत है तुम्हारी बातों से ।

निष्कर्ष :
दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको ” Akbar and Birbal stories in Hindi- बीरबल जब बच्चे बने ” शीर्षक वाली यह Akbar and Birbal Stories पसंद आई होगी , ऐसी और भी Birbal Ke Kisse की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे.