बीरबल की बुद्धिमानी के किस्से
अकबर बीरबल की कहानियों में बीरबल अक्सर ही अपने बुद्धिमता का उपयोग कर समस्या का हल निकाल ही लेते है , आज के इस पोस्ट का शीर्षक है ” बीरबल की बुद्धिमानी के किस्से ” आज के अकबर बीरबल की कहानियां में कई ऐसे समस्या है जैसे – स्वर्ग की यात्रा , सोने का खेत , आम के पेड़ की समस्या ऐसे ही और भी समस्याएं है जो बीरबल को सोचने में मजबूर कर देती समस्याओं का हल निकालने के लिए इसके साथ ही साथ हम बीरबल की बुद्धिमानी के किस्से हमें सिखाते हैं कि विवेक, हास्य और धैर्य से हर कठिनाई का हल निकाला जा सकता है। बिना देरी किए बगैर चलिए शुरू करते है बीरबल के चतुराई के किस्से ।
1.आम का पेड़ और बीरबल की चतुराई : अकबर बीरबल की प्रेरणादायक कहानी

एक आम का पेड़ जो की दो घर के बीचों बीच था , वह दोनों घर के व्यक्ति आपस में अक्सर ही छोटी – छोटी बातों पे लड़ते रहते थे,
एक व्यक्ति का नाम कैलाश था तो दूसरे व्यक्ति का नाम केशव ,
कुछ समय बाद उस पेड़ पे आम आने लगे, केशव जा कर पेड़ के आम खाने लगा तो कैलाश ने कहा यह मेरा आम का पेड़ तुम्हारा नहीं ,
केशव : यह मेरा आम का पेड़ है,
और दोनों अपनी ही राग पे झगड़ने लगे इस बार यह झगड़े आपस में इतने बढ़ गए की यह समस्या दरबार में जा पहुंची ,
जब शहंशाह अकबर ने यह आम के पेड़ की समस्या सुनी तो वह खुद चौंक गए की आम का पेड़ किसका है कैसे पता लगाया जाए, आम का पेड़ दोनों व्यक्तियों के घर के बीचों बीच था ,
अब शहंशाह अकबर बीरबल से मुखातिब हुए : बीरबल अब आप ही पता लगाए कि यह आम का पेड़ किसका है ?
बीरबल : जी जहांपनाह ,
आप दोनों व्यक्ति अभी अपने – अपने घर जाए मुझे कुछ समय दे सोचने के लिए आम का पेड़ किसका है !
अब शाम के समय ,
बीरबल ने अपने रघु काका जो उनके यहां काम करते थे ,
उन्हें कहा कि आप दोनों व्यक्तियों के घर जाए , और दोनों को सूचना दे की चोर आम चुरा रहा है ,
और यह सूचना के बाद दोनों व्यक्तियों की प्रतिक्रिया क्या है वह मुझे बताए ,
अब अगले दिन सुबह ,
बीरबल : हम अभी तक यह तय नहीं कर पाए है कि वह आम का पेड़ किसका है , हम एक काम कर सकते है उस आम के पेड़ को काट देंगे और लकड़ियों को बराबर हिस्सों में दोनों व्यक्तियों के बांट देंगे ,
कैलाश : आपने एकदम सही कहा , बीरबल जी ,
कैलाश ( मन ही मन ) : यह तो अच्छा है कुछ पैसे को इंतजाम हो जाएगा !
केशव : बीरबल जी , कृपा आप ऐसा मत करे , में वह पेड़ कैलाश को देने के लिए तैयार हूं मगर उस आम के पेड़ को मत कटवाए उस आम के पेड़ के साथ अपना बचपन बिताया है , वह मेरा बचपन का साथी है ,
बीरबल : एकदम सही केशव वह आम का पेड़ तुम्हारा ही है ,
कैलाश : मगर यह बात तो में भी बोल सकता हु जहांपनाह ! तो इससे क्या यह आम का पेड़ मेरा नहीं है ,
शहंशाह अकबर : बीरबल यह बात उचित है यह बात तो कोई भी बोल सकता है ,
बीरबल : जी जहांपनाह मगर मालिक केशव ही है , क्योंकि मेने कल शाम एक सूचना दी थी दोनों व्यक्तियों को ,
की चोर आम के पेड़ से आम चुरा रहा है ,
कैलाश ने कुछ भी नहीं किया , मगर केशव ने उस चोर को जा कर भगाया !
और किसी भी चीज़ की हम तभी रक्षा करते है जब वह चीज़ हमारी होती है, जो कि केशव ने करी , ना की कैलाश ने ,
कैलाश : मुझे माफ कर दे जहांपनाह ! वह आम का पेड़ केशव का ही है ,
कैलाश तुम्हे झूठ बोलने और केशव के साथ बेवजह झगड़ने के लिए इनाम के तोड़ पे कुछ पैसे केशव को देने होंगे !
शहंशाह अकबर : शानदार बीरबल , हमे तुम से यहीं उम्मीद थी , तुम्हारा कोई जवाब नहीं बीरबल!
2.बैल का दूध – Akbar Birbal Stories for Kids

कुछ दिनों के लिए बीरबल पड़ोसी राज्य में कुछ कार्य के लिए जाते है , उसके अगले दिन से ही सभी दरबारी शहंशाह अकबर के कान भरने लगते है ,
जहांपनाह , बीरबल ऐसा है वैसा है ,
और ऐसे ही एक दरबारी कह देते है जहांपनाह क्यों ना बीरबल को परखा जाएं,
शहंशाह अकबर : कैसे ?
दरबारी : क्यों ना बीरबल को बैल का दूध लाने को कहा जाए !
शहंशाह अकबर : बैल का दूध !
शहंशाह अकबर ( मन ही मन सोचते है ) : ठीक है , बीरबल तक यह संदेश भेजा जाए ,
अब शाम के समय ,
जब बीरबल शाम को पड़ोसी राज्य से लौट ते है तो एक सिपाही उन्हें शहंशाह अकबर का संदेश देते है ,
बीरबल : बैल का दूध ! और थोड़ी देर बाद सिपाही को कहते है ठीक आप अभी जाए !
बीरबल ने अपनी पुत्री को बुलाया और कुछ बातें करने लगे !
अब आधी रात के समय ,

शहंशाह अकबर गहरी नींद में सो रहे थे , तभी अचानक कुछ आवाजें आती है , *** यह आवाज पत्थर पे कुछ रगड़ने की थी ,
शहंशाह अकबर तुरंत सिपाहियों को कहा देखो कौन है वहां और हमारे पास लाओ उसे !
जब सिपाही जाते है तो देखते है कुएं के पास एक लड़की अपने कपड़ों को पत्थर पे पीट के धो रही थी सिपाहियों ने उसे आवाज दी मगर वह बहुत मगन थी अपने काम में ,
सिपाही उसे पकड़ कर शहंशाह अकबर के पास ले गए ,
शहंशाह अकबर लड़की को देख : तुम तो बीरबल की पुत्री हो ?
लड़की : जी !
शहंशाह अकबर : क्या तुम्हे पूरे दिन कपड़े धोने का समय नहीं मिला जो आधी रात को धो रही हो !
लड़की : जहांपनाह ! मेरी माता मायके गई है , और मेरे पिता ने आधी रात को शिशु को जन्म दिया है इसी कारणवश मुझे यह गंदे कपड़े धोने आधी रात को आना पड़ा !
शहंशाह अकबर के साथ- साथ सिपाही भी सोच में पड़ गए !
शहंशाह अकबर ( धीरे – धीरे बोलते है ) : तुम्हारे पिता ने शिशु को जन्म दिया है ! क्या है यह ? आख़िर कोई पुरुष कैसे किसी शिशु को जन्म दे सकता है ,
लड़की : जहांपनाह ! आज के समय में कुछ भी मुमकिन नहीं है ,सुना है बैल का दूध भी मिलने लगा है !
शहंशाह अकबर : थोड़ा सोचते है और हंसने लगते है ,
वोह बीरबल ! तुम्हारा कोई जवाब नहीं , और अगली सुबह यह किस्सा सभी दरबारियों को बताते है ! यह कहानी यहां समाप्त होती है ,धन्यवाद !
बैल का दूध का अर्थ :
“बैल का दूध ” एक व्यावहारिक रूप से असंभव या मज़ाकिया वाक्यांश है,कहानी में इसे एक कठिन चुनौती की तरह इस्तेमाल क्या गया है !
3.कुएं का पानी की अनोखी कहानी : बीरबल की चतुराई के किस्से

एक किसान अपने खेत के सिंचाई के लिए आस – पास एक कुआं ढूंढ रहा था , बड़ी मुश्किलों के बाद ,
उस किसान को एक कुआं मिल जाता है ,वह जैसे ही बाल्टी कुएं में डालता है , एक व्यक्ति उसे रोकता है जिसका व्यक्ति का नाम भूषण है ,
भूषण : यह कुआं मेरा है तुम यहां से पानी नहीं ले सकते मगर किंतु यह कुआं तुम खरीद सकते हो मुझे इसकी रकम अदा कर दो ,
किसान यह सुन खुश हो गया मन ही मन सोचने लगा अगर यह कुआं मेने खरीद लिया तो मेरे लिए फायदे का सौदा रहेगा मुझे कभी भी जरूरत रहेगी में कुएं से पानी ले सकता हु , इस वज़ह मेरी फसल भी अच्छी होगी !
कुछ समय पश्चात् ,
दोनों व्यक्तियों ने एक रकम तय की ,
किसान के पास इतने पैसे नहीं थे , मगर वह अपने दोस्तों के सामने पूरी बात बताता है , उसके सारे दोस्त थोड़े – थोड़े पैसे किसान को देते है ,
किसान बहुत खुश था अब वह कुआं उसका हो जाएगा यह सोच के उसे नींद भी अच्छी से नहीं आई,
अगली सुबह ,
किसान ने रकम अदा कर दी और यह कुआं अब किसान का हो गया था ,
अब किसान कल से काम शुरू करने का फैसला करता है ,
अब अगली सुबह ,
किसान बाल्टी को कुएं में डालता है ,पानी निकालने के , थोड़ी देर बाद भूषण आ जाता है , और कहता है
भूषण : मेने तुम्हें केवल कुआं बेचा है , पानी नहीं !
किसान : यह किया कह रहे हो तुम ! तुमने जो रकम कहा मेने तुम्हें आदा करी यह कुआं मेरा है ,
भूषण : एक ही बात पे आड़ा रहा केवल कुआं तुम्हारा है कुएं का पानी नहीं ,
किसान दुखी हो कर दरबार में जा पहुंचा ,
शहंशाह अकबर ने सारा मामला ध्यान पूर्वक सुना और भूषण को दरबार में आने का फरमान भेजा ,
भूषण : जहांपनाह ! मेने केवल अपना कुआं बेचा है उसके अंदर का पानी नहीं !
शहंशाह अकबर ( मन ही मन ) : क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा , और कुछ देर बाद बीरबल से मुखातिब हुए ,
बीरबल अब आप ही यह मामला सुलझाए ,कुएं का पानी का ,
बीरबल : जी जहांपनाह !
बीरबल : हम सभी को उस कुएं के पास जाना होगा जहांपनाह !
सभी दरबारी , शहंशाह अकबर ,बीरबल ,भूषण और किसान कुएं के पास पहुंचे
बीरबल : भूषण तुम यह तो मानते हो कि कुआं किसान का है ,
भूषण : जी बीरबल !
ठीक है , अब या तो तुम यह सारा पानी इस कुएं से निकाल लो या कुएं में पानी रखने का किराया दो किसान को ,
सभी लोग चौक गए और भूषण भी समझ गया अब ज्यादा बोलना सही नहीं है ,
भूषण : मुझे माफ कर दे जहांपनाह ! ऐसी गलती में दोबारा नहीं करूंगा , अब से यह कुआं और पानी दोनों ही किसान का हुआ ,
शहंशाह अकबर : वह बीरबल , तुम्हारे पास हर एक सवाल का जवाब होता है ,कबीले तारीफ बीरबल !
कहानी से सीख:
जब आप अपने बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल ठग या चालबाजी में करते है तो ध्यान रखें आप से भी बड़े अक्लमंद है और जैसा आप दूसरे के साथ करते है आपके साथ भी वैसा ही होता है , सबका अच्छा सोचे अच्छा करे !
4.सोने का खेत – Akbar Birbal Stories for Kids

एक बार शाही बावर्ची शहंशाह अकबर के लिए उनके मनपसंद खाना बना रहे थे मगर उन से खाने में गलती से ज्यादा नमक गिर गया , उस बावर्ची ने ज्लदी ज्लदी दूसरा खाना बनाकर पेश किया शहंशाह अकबर ने पूछा आज तो हमरा मनपसंद खाना बनने वाला था भिंडी की सब्जी मगर आज यें दूसरी सब्जी क्यों बनाई ,
बावर्ची : जी जहांपनाह! थोड़ा घबराते हुए बोला जहांपनाह वह भिंडी खतम हो गई थी !
शहंशाह अकबर : क्या ! ऐसा नहीं हो सकता
बावर्ची : जहांपनाह माफी , वह सब्जी में ज्यादा नमक गिर गया जिस कारण आज यह दूसरी सब्जी बनाई ,
शहंशाह अकबर : क्या झूठ बोला तुमने , एक बार तो हम तुम्हे इस लिए माफ कर देते कि गलती से तुम से नमक ज्यादा गिर गया मगर झूठ के लिए कतई नहीं ,
निकल जाओ हमारी सल्तनत से हम तुम्हे देश निकला देते हैं,
यह सारी कहानी शहंशाह अकबर दरबार में सभी दरबारी को बता रहे थे ,
और कहा इस तरह हमनें उसे झूठ बोलने की सजा दी और देश निकला दिया
आप लोग किया कहते है हमने सही किया !
सभी दरबारी जी जहांपनाह , आपने सही किया
शहंशाह अकबर : हमे झूठ बोलने से सख्त नफरत है और सभी दरबारियों से पूछा हमे भी आशा है आप लोगों ने भी कभी झूठ नहीं बोला होगा !
सभी दरबारी : जी जहांपनाह ! झूठ बोलना तो अपराध है ऐसा कह कर सब ने हा में सर हिलाया ।
जब शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा तो बीरबल ने कहा
बीरबल : जहांपनाह , मैने झूठ बोला है ,
शहंशाह अकबर : यह किया कह रहे है आप , हमें नहीं पता था हमरे नों रत्नों में से एक झूठा भी है ,
बीरबल ( बचाव करते हुए ) : जहांपनाह ! हमे लगता है किसी भले के लिए झूठ बोलना कोई गलत नहीं , और हमे लगता है हर किसी ने कभी ना कभी झूठ बोला ही होगा !
शहंशाह अकबर : निकल जाए आप इस दरबार से हम आपकी सूरत भी नहीं देखना चाहते निकल जाए
और इस तरह से बीरबल उदास हो कर निकल गए दरबार से और सभी दरबारी खुश हो गए बीरबल के जाने से ।
अपने घर में बैठे – बैठे बीरबल कुछ सोच ही रहे थे तब उन्हें जमीन पे एक धान का टुकड़ा दिखता है,
उन्होंने अपने सेवक को बुलाया और उस धान को देते हुए कहा बिलकुल ऐसा होना चाहिए ,
ऐसा कुछ कहां और
अब अगली सुबह ,
बीरबल दरबार में उपस्थित हुऐ,
शहंशाह अकबर बोले बीरबल आप यहां किया कर रहे है हमे आपकी सूरत भी नहीं देखनी
बीरबल : जहांपनाह , मुझे ऐसा कुछ मिला है कि जिससे हमारे राज्य में बेशुमार धन – दौलत हों सकता है,
उन्होंने शहंशाह अकबर को एक धान का टुकड़ा दिया ,
शहंशाह अकबर : यह ! यह तो सोने का है
बीरबल : जी जहांपनाह ! यह मुझे एक बहुत बड़े संत ने दिया है , इसे अगर हम किसी अच्छी उपजाऊ ज़मीन पे लगाए तो सोने की खेती करने में हम सफल रहंगे,
शहंशाह अकबर ( चौकते हुए बोले ) : यह तो बहुत बड़ी बात होगी ,बीरबल आप शीघ्र ही उपजाऊ ज़मीन देख इसे बो दे,
अगली सुबह ,
सभी दरबारी , शहंशाह अकबर और बीरबल एक उपजाऊ ज़मीन पे उपस्थित हुऐ ,
शहंशाह अकबर : बीरबल इसे ज्लद से ज्लद बो दे ,
बीरबल : जहांपनाह, में इसे नहीं बो सकता ,
इसे केवल वहीं व्यक्ति बो सकता है जिसने आपने जीवन में कभी झूठ ना बोला हों ,
शहंशाह अकबर ने सभी दरबारी को कहां आप आए और इसे बो दे ,
मगर सभी दरबारियों ने अपने सर नीचे कर लिए
शहंशाह अकबर : हमे यकीन नहीं होता आप सबने झूठ बोला है ,
बीरबल : जहांपनाह, अब एक सिर्फ आप ही जो नेक और सच्चे है इसे आप ही बो दे ,
शहंशाह अकबर ( घबराते हुए ) : क्या , हम ! हमे लगता है हमने भी कभी ना कभी झूठ बोला ही होगा शायद अपने बचपन में ,
बीरबल : देखा जहांपनाह , हर एक व्यक्ति कभी ना कभी झूठ बोलता ही है ,
शहंशाह अकबर : हां, हम सहमत है तुम्हारी बात से मगर अब इस धान का किया ?
बीरबल : जहांपनाह यह नकली है यह किसी संत ने नहीं दिया हमें, बल्कि एक अच्छे सोनार से हमने धान सोने की तरह बनवाया ताकि यह सब साबित कर सके ,
सभी दरबारी चौंक गए और शहंशाह अकबर हस्ते हुए बोले बीरबल तुम्हारा कोई मुकाबला नहीं ,
बीरबल : जी जहांपनाह !
5.सबसे बड़ा मनहूस कौन ? : Akbar and Birbal Stories in Hindi

अकबर बीरबल की यह कहानी ( Akbar Birbal ki Kahani ) किया होता है जब शहंशाह अकबर समझ लेते है उन पर बुरा साया पड़ा है फिर वह अंधविश्वास में लेते है एक फैसला ,
शुरू करते है यह बीरबल की बुद्धिमानी के किस्से,
एक सुबह , शहंशाह अकबर जब जागते है उन्हे प्यास लगती है वह कहते है हमे प्यास लगी है हमारे लिए पानी लाया जाए,
आसपास कोई खास निजी सेवक नही था ,वह फिर से कहते है हमे प्यास लगी है हमे पानी चाहिए एक कचरा साफ करने वाला नौकर जिसने शहंशाह अकबर की आवाज सुनी उसने एक गिलास पानी शहंशाह अकबर के कमरे में जा के दे दिया अकबर चौक गए मगर उन्हें प्यास लगी थी तो उन्होंने पानी पी लिया ,
उसी समय खास सेवक आ गए और उस कचरा साफ करने वाले नौकर को भागा दिया और शहंशाह अकबर की चापलूसी करने लगें,
अब कुछ समय पश्चात्,
शहंशाह अकबर जब दरबार में गरीबों की समस्या सुन रहे थे तभी उनके पेट में दर्द होने लगता है राज्य वेध और हकीम उन्हे दावा देते है मगर कुछ काम नही करता ,
अब कुछ समय बाद ,
राज्य ज्योतिष वह शहंशाह अकबर को कहते है जहांपनाह आप पे किसी मनहूस व्यक्ति का साया पड़ा है ,अकबर को याद आता है हमने सुबह कचरा साफ करने वाले के हाथ से पानी पिया था ।
अकबर: फांसी की सजा दी जाती है ,बंदी बना लो उस नौकर को वह मनहूस है !
सिपहाई उस नौकर को कारागार में डाल देते है ,
बढ़ते है इस बीरबल की बुद्धिमानी की कहानी में आगे ,
जब यह बात बीरबल को पता चलती है तो वह नौकर से मिलने जाते है और सहनुभूति देते हुए कहते है तुम चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा ।
अब कुछ समय बाद ,
बीरबल शहंशाह अकबर से मिलने जाते है उनके सेहत जानने के लिए ,
बीरबल ( अकबर को बिस्तर पे देख ) : जहांपनाह आप चिंतित ना हो आप ठीक हो जाएंगे ,
अकबर: वो बीरबल हमारी सेहत पे मनहूस साया पड़ा है इसी वजह से हमारी सेहत खराब हो गई है अब हमने उसे फांसी की सजा दे दी है ।
बीरबल : जहांपनाह ! अगर में आपको उस नौकर से भी बड़ा मनहूस के बारे में बताए तो आप उसे छोड़ देंगे ।
अकबर: हां,
बीरबल : जहांपनाह सबसे बड़े मनहूस तो आप है !
अकबर : बीरबल तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यह सब कहने की
बीरबल : जहांपनाह आपने सुबह उस नौकर के हाथ से पानी पिया आप बिस्तर पे आ गए आपका पेट दर्द हो रहा है मगर जहांपनाह आप यह सोचिए उस नौकर ने सुबह -सुबह आपका चेहरा देखा वह तो बस आपकी खिदमद करना चाहता था उसे तो फांसी की सजा मिल गई,
उसे कारागार में डाल दिया गया । जहांपनाह आप ने कई बार आवाज़ लगाई कोई नही आया मगर वह नौकर बिना किसी चिंता के आपकी खिदमद में हाजिर हुआ ,और उसे के साथ यह सब हो गया
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अकबर : हम समझ गए बीरबल हम शर्मिंदा है इस अंधविश्वास में आ गए ,
शहंशाह अकबर ने नौकर को रिहा कर दिया और उसे इनाम भी दिया गया और राज्य ज्योतिष जिसने यह साया अंधविश्वास की बात की थी उससे घोड़े के तबले में घोड़े की साफ सफाई देखने का कार्य दे दिया की सफाई से हो रही है की नही ,
मनहूस कौन है ? :
यह हमारी सब से बड़ी गलती है हम यह सोचते है मनहूस के बारे में यह सब हमने ही एक नज़रिया बनया है उपर वाले ने हम सब को एक सामना रखा है कोई मनहूस नही होता या शुभ नही होता आप बस एक विश्वास रखे अपने और उपर वाले ईश्वर के प्रति आप मेहनत करते रहे जरूर सक्षम होंगे उस काम में या जो आप चाहते पाना । Akbar birbal ki kahani से हमे यह तो पता चला की मनहूस जैसा कुछ नहीं होता ।
6.बादशाह का सपना – बीरबल की बुद्धिमानी के किस्से

एक रात शहंशाह अकबर ने एक अजीब सपना देखा उस सपने में उन्होंने देखा की उनके एक दांत छोड़ के सारे दांत टूट गए है ।
शहंशाह अकबर को कुछ समझ नही आया की इस सपने का किया अर्थ है ?
अगली सुबह ,
शहंशाह अकबर ने देश भर के ज्योतिषियों और मुनियों को बुलवा भेजा ,शहंशाह अकबर ने अपना सपना सभी ज्योतिषियों के साथ -साथ मुनियों को भी बताया अपने सपने के बारे में,
अकबर : हम कैसे बताए मगर हमने एक अजीब सपना देखा है
ज्योतिष ( सारे एक साथ) : आप चिंतित ना हो जहांपनाह !
अकबर : हमने सपने में देखा की हमारे एक दांत छोड़ के सारे दांत गिर गए है । इसका किया अर्थ है हमे कुछ समझ नही आ रहा है ,
कुछ समय पश्चात्,
सभी ज्योतिष और मुनि आपस में एक विचार – विमर्श करते है और कुछ देर बाद वह इस सपने का मतलब बताते है उनमें से एक ज्योतिष कहते है जहांपनाह इस सपने का अर्थ है की आपके सारे नाते – रिश्तेदार आप से पहले ही मर जायेंगे।
अकबर ( बेहद क्रोध में ) : यह किया कह रहे है ,आप लोग चले जाएं यहां से हमे कुछ नहीं सुनना ।
कुछ देर बाद ,
अकबर : बीरबल ! आप हमे हमारे सपने का मतलब बताए
बीरबल : जी जहांपनाह ! बहुत समय तक बीरबल ने इस पर विचार किया और कहां ,
बीरबल : जहांपनाह , आपके सपने का अर्थ तो बहुत शुभ है
अकबर : किया सच में बीरबल ?
बीरबल : जी जहांपनाह ,
इसका अर्थ है की आपके नाते – रिश्तेदार में एक आप ही जो लंबे समय तक जीवित रहेंगे और स्वस्थ रहेंगे।बीरबल की बात सुन कर शहंशाह अकबर प्रसन्न हो गए , बीरबल को तौफ़ा से पुरिस्कृत किया गया ।
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कहानी से सीख :
कभी-कभी हम सब के सामने भी ऐसी समस्या आती जब हमारे सामने वाले व्यक्ति बहुत ज्यादा बेवजह परेशान हो जाते है तो हम उन्हे ऐश शांत कर सकते है जैसा बीरबल ने बादशाह का सपना ( Badshah ka Sapna ) के बारे में कहां बीरबल ने भी वही कहां जो सारे ज्योतिषियों ने कहा मगर एक अलग तरीके से । एक अलग तरीके से बात रखने का यह मतलब है की जैसे आप एक बच्चे को कहे आज तुम्हे पसंदीदा खाना नहीं मिलेगा जब तक तुम अपना पूरा कार्य नही कर लेते अब उस बच्चे को आप यह कहें इसके वजह की आज तुम अगर अपना पूरा कार्य कर लेते हो तुम्हारे पसंद का खाना मिलेगा।
7.स्वर्ग की यात्रा -Akbar Birbal ke kisse

शहंशाह अकबर बीरबल को बहुत पसंद करने लगे थे शहंशाह अकबर बीरबल से प्रसन्न रहते बाकी दरबारियों बीरबल की बुधिमत्ती से जलने लगे थे वजीर- ए- अब्दुल्लाह से भी यह सब कुछ सहन नही हो पा रहा था । क्योंकि जब से बीरबल ने नौ रत्नों में अपनी जगह ली थी , बीरबल के किस्से कि सब लोग बातें करते थे |
वजीर- ए – अब्दुल्लाह के साथ शहंशाह अकबर ज्यादा समय नहीं बीता पाते थे ,वजीर ए अब्दुल्लाह और कुछ दरबारी मिल जुल के बीरबल के खिलाफ़ एक योजना बनाते है और इस योजना में वह एक नाई को भी शामिल करते है ।
अब अकबर बीरबल के किस्से ( akbar birbal ke kisse ) की इस कहानी में आगे बढ़ते है,
एक सुबह शाही नाई शहंशाह अकबर की हाजम बना रहे थे तो वह उनकी तारीफ करते हुए कहता है
नाई : जहांपाहना आप सभी का बहुत ख्याल रखते है अपने से बड़े , अपनी सल्तनत के गरीब , लाचार , बच्चे आदि ।
अकबर : शुक्रिया !
नाई: लेकिन , जहांपनाह
अकबर : लेकिन , लेकिन किया , किया कोई है जिससे हम भूल रहे है ? या कोई ऐसा है जिससे हम नजरंदाज कर रहे है ?
नाई: जहांपनाह गुस्ताखी माफ ! मगर अपने कभी सोचा है अपने बड़े बुजुर्ग मतलब अपने पूर्वजों के बारे में जो दुनिया छोड़ स्वर्ग चले गए है ।
अकबर : मगर हम तो उनका ख्याल रखते है उनके हक में हम दुआ करते है उनके याद में हमने शाही मकबरे बनवाए है ।
नाई : जहांपनाह आपको किसी को स्वर्ग भेजना चाहिए जो आपको बताए की आपके पूर्वज किस तरह रह रहे है और उनको किस चीज की दिक्कत तोह नहीं।
अकबर : यह किया कह रहे हो तुम , तुम्हारा दिमाग तो खराब नही हो गया कोई स्वर्ग जा के कैसे कोई वापस आ सकता है ?
नाई : जहांपनाह में सच कह रहा हु , स्वर्ग की यात्रा कर के वापस आया जा सकता है में एक सिद्ध योगीबाबा को जनता हु जो व्यक्ति को स्वर्ग भेज सकते है और उन्हें वह वापस भी ला सकते है , और वजीर – ए – अब्दुल्लाह भी उन से तशरीफ रखते है ।
आप चाहे तो वजीर – ए – अब्दुल्लाह से कह कर योगी बाबा को आप बुला सकते है ।अगले दिन दरबार में , वजीर- ए- अब्दुल्लाह योगी बाबा को ले कर आते है
अकबर : वजीर – ए – अब्दुल्लाह किया आपने योगी बाबा को बुलाया ?

अब्दुल्लाह : जी जहांपहना वह दरबार के बाहर खड़े है ,आपकी इजाजत हो तो उन्हे बुलाए ?
अकबर : वजीर- ए- अब्दुल्लाह उन्हे बुलाया जा योगिराज निरंजन बाबा दरबार में हाजिर होते है
योगिराज बाबा : अलख निरंजन , जहांपनाह मेरा नाम योगिराज निरंजन है ।
अकबर : हमने सुना है आप किसी को भी स्वर्ग भेज सकते और वह वापस आ सकता है ।
योगिराज बाबा : जी जहांपनाह , मेने ऐसी विद्या सीखी है में यह कर सकता हु ,
अकबर : हम यह जानना चाहते है हमारे पूर्वजों को स्वर्ग में कोई जरूरत तो नही हम उनके बारे में जानना चाहता है वह सभी खुशी से रह रहे है ना ?
योगिराज बाबा : जी जहांपनाह , आप किस ऐश भरोसेमंद व्यक्ति को भेज सकते है जो स्वर्ग के मोह में न फसे आपके पूर्वजों की कोई जरूरत है या नही ऐसा सूचना आपको दे सकते है ।
अब्दुल्लाह : जहांपनाह दरबारियों में सब से बुद्धिमती बीरबल के पास और साथ ही साथ वह भरोसेमंद भी है
अकबर : बीरबल ! किया आप स्वर्ग जायेंगे हमारे पूर्वजों के पास ?
बीरबल : जी जहांपनाह में स्वर्ग जाऊंगा ।
अब बीरबल योगिराज निरंजन से कुछ सवाल पूछते है ।
बीरबल : आप मुझे स्वर्ग कैसे भेजेंगे ?
योगिराज बाबा : में एक पवित्र आग जलूंगा जिसमे आपको प्रवेश करना होगा यह क्रिया हम कही भी कर सकते है मगर हम इसे नदी के घाट के पास करेंगे जिससे आपको दिमाग में शांति बनी रहेगी !
बीरबल : मुझे स्वर्ग से आने में कितना समय लगेगा ?
योगिराज बाबा : अगर आप स्वर्ग के मोह में ना आए तो आप दो महीनों में आ जायेंगे
बीरबल : जहांपनाह इस कार्य में समय लगेगा और में अपने परिवार से दूर रहूंगा आप मुझे चार – पांच दिन के मोहलत दे ।
अकबर : ठीक है , योगिराज आप बीरबल की स्वर्ग यात्रा ( birbal ki Swarg yatra) की तयारी पांच दिन बाद संपन्न करे ।
योगिराज बाबा : जी जहांपनाह ,अब पांच दिन बाद ,बीरबल को स्वर्ग जाने के लिए ले जाया जाता है पवित्र आग जलाई जाती है बीरबल के माथे पर तिलक लगाते है और उनकी थोड़ी पूजा की जाती है , योगिबाबा और बीरबल को चित्त हो जाने को कहते है ।
अकबर : योगिनिरंजन हमे आप पर भरोसा है मगर सच में बीरबल स्वर्ग यात्रा ( birbal Swarg yatra) कर के आ जायेंगे ना ?
योगिराज : जी जहांपन्हा , आप चिंतित ना हो ।
बीरबल : अलविदा! जहांपनाह , अलविदा
अकबर : बीरबल हम आपको याद करेंगे । आप कोशिश करें जल्दी लौटने की
बीरबल : जी जहांपनाह ! में जल्दी लौट कर आऊंगा ,अब दो महीने गुजरने के बाद ,शहंशाह अकबर बहुत चिंतित हो गए बीरबल की कोई सूचना नहीं थी ,एक दिन दरबार में
अब्दुल्लाह : योगिराज बाबा ने यह भी कहा था कि स्वर्ग के मोह में फस गए तो नहीं आ सकते जहांपनहा यह भी हो सकता है बीरबल स्वर्ग के मोह में आ गए होंगे ।
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अकबर : नही ऐसा नहीं हो सकता , बीरबल ऐश नहीं कर सकते हमे उन पर पूरा भरोसा है ।
शाम के समय फिर बीरबल की स्वर्ग यात्रा ( birbal ki Swarg yatra) की बातें कर रहें थे ,
तभी बीरबल दरबार में आते है ! सभी दरबारी और साथ ही साथ वजीर- ए – अब्दुल्लाह देख के चौक जाते है ।
बीरबल : में आ गया जहांपनाह , में आ गया
अकबर : खुशामदीद ! खुशामदीद! वोह! बीरबल हमे तुम पर पूरा भरोसा था तुम जरूर आओगे ।
अकबर : बताओ हमारे पूर्वजों को कोई जरूरत तो नही वह सभी ठीक तो है ना ? उन्हे किसी चीज़ की जरूरत तो नही ?
बीरबल : जी जहांपनाह , वह सभी ठीक उन्हे किसी चीज़ की जरूरत नही तभी
अकबर ( बीरबल की तरफ ध्यान देते हुए ) : बीरबल यह तुम्हारे बाल इतने बड़े कैसे हो गए ? और दाढ़ी भी !
बीरबल : जी जहांपनाह मेरे बाल ही नहीं स्वर्ग में हर किसी के बाल इतने लंबे है स्वर्ग में सबकुछ है मगर कोई नाई नहीं है जो उनके हाजम बना सके ,
अकबर : हम अभी अपने शाही नाई को स्वर्ग भेजने की तयारी करवाते है । नाई और योगिराज दोनो यही मेहमान बन कर रह रहे है ।
अकबर : वजीर- ए – अब्दुल्लाह को कहते है उन योगीबाबा और नाई को बुलाया जाए ।
अकबर : योगिराज स्वर्ग में नाई की जरूरत है , नाई को स्वर्ग भेजने की क्रिया शुरू की जाए
नाई ( घुटने के बाल हो कर ) : गुस्ताखी माफ जहांपनाह , माफ यह सब एक साजिश थी बीरबल को स्वर्ग भेजने की इसमें वजीर- ए- अब्दुल्लाह भी शामिल है । वह बीरबल की शोहरत से भी जलते है ,इसीलिए उन्हें अपने रास्ते से हटाना चाहते है मुझे नही पता बीरबल कैसे बच गए उस आग से मगर में नही बचूंगा ।
अकबर : इतनी बड़ी साजिश बीरबल के खिलाफ ! सिपाहियों इन्हे बंदी बना लो ,वजीर – ए – अब्दुल्लाह हम चाहें तो तुम्हे हम अभी फांसी की सजा दे सकते है मगर तुमने हमारी काफी हिफाजत की इसीलिए हम तुम्हे देश निकाला देते है
अब्दुल्लाह : जहांपनाह माफ़ करे , इस दफा हमे माफ करे अगली बार से यह नहीं होगा ।
अकबर : सिपाहियों इन्हें सरहद के बाहर छोड़ दो और फिर कभी अपनी शक्ल हमे मत देखना ।
कुछ समय पश्चात् ,
अकबर : वोह! बीरबल मेरे बुद्धिमान दोस्त तुम्हे इनकी साजिश का पता कैसे चला ?
बीरबल : जहांपनाह जब मेंने योगिराज से पूछा की आप मुझे कैसे स्वर्ग भेजेंगे तो उन्हे कहा आग से जला के ,में तभी समझ गया जहांपनाह दाल में कुछ काला है ,
मेने जो आप से पांच दिन के मोहलत ली थी उसमे मेने एक सुरंग बनाई जहां पर वह मुझे जलाने वाले थे वहां से मेने अपने घर तक एक सुरंग बनाई और जैसे ही योगिराज मुझे उस आग में प्रवेश करने को कहां मेने देखा आग से धुवां आस पास फैल गया था मेने किसी के नजर में ना आ के सुरंग का दरवाजा खोल के सुरंग में चला गया और सुरंग के जरिए अपने घर पहुंच गया और दो महीने तक में अपने घर में ही रहा ।
मुझे यह भी पता था जहांपनाह इसमें सब से कमजोर कड़ी वह नाई है इसीलिए में चाहता था वह अपना इल्जाम खुद कबूल करे इसीलिए मेने अपने बाल और दाढ़ी बढ़ा ली ।
अकबर : वोह! बीरबल एक तुम हो ऐसा कर सकते मेरे शातिर दोस्त , नहीं तो कोन स्वर्ग के यात्रा कर के वापस आ सकता है ,
दोनों साथ में हंसते है
बीरबल : जी जहांपनाह !
8.ऊंट की गर्दन : अकबर बीरबल की कहानियां

एक बार की बात है ,शहंशाह अकबर बीरबल से बहुत प्रसन्न थे , बीरबल ने कई सारे चुनौतियां को स्वीकार कर उन्हें पूर्ण किया और राज्य मैं के कई जगह चर्चे भी हो रहे थे ,
एक दिन शहंशाह अकबर ने बीरबल को तालाब के किनारे वाली जमीन देने की घोषणा करते है ,
इस बात से बीरबल बहुत खुश हुए मगर कई हफ्ते बीत गए और बीरबल को उस जमीन के कागज़ नहीं मिले ( मतलब वह पुरुस्कार मिला ही नहीं ) अब बीरबल बड़ी उलझन में आ गए कि वह बात कैसे शहंशाह अकबर को याद दिलाए,
कुछ दिनों बाद ,
शहंशाह अकबर और बीरबल यमुना नदी किनारे सैर करने जाते है , शहंशाह अकबर ने वहां एक ऊंट को घूमते देखा ,
शहंशाह अकबर : बीरबल यह ऊंट की गर्दन मूरी हुई क्यों होती है ?
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बीरबल : जहांपनाह,
कुछ ही देर बाद वह सोचते है यह अच्छा विचार है ,
और कहते है , जहांपनाह यह ऊंट किसी से वादा कर के कुछ भूल गया था इसी कारणवश इस ऊंट की गर्दन मुड़ी हुई है जहांपनाह !
यह बात शहंशाह अकबर को सोच में पड़ जाते है ( वादा कर के कुछ भूल गया है ) तभी उन्हें अपना वादा याद आता है और कहते है बीरबल कल तुम्हे तुम्हारा पुरुस्कार मिल जाएगा और हस्ते हुए कहते क्यों बीरबल अब तो हमारी गर्दन ऊंट की तरह मुड़ेगी तो नहीं !
बीरबल ( हस्ते हुए ) : जहांपनाह !
और यह कहानी यही ही समाप्त होती है , आशा करते है आपको बीरबल की बुद्धिमानी के किस्से यह कहानी अच्छी लगी होगी आपका धन्यवाद !
9.रेत और चीनी : बीरबल की बुद्धिमानी के किस्से

सभा में हसी ठहाके चल रहे थे तभी एक दरबारी खड़े हुए और बोले , जहांपनाह, में बीरबल को चुनौती देना चाहता हु ,
शहंशाह अकबर : चुनौती ! कैसी चुनौती ?
दरबारी : मेरे पास एक पोटली है जिसमें रेत और चीनी मिले हुए है हम चाहते है , की बीरबल चीनी का एक – एक दान अलग करे रेत से ,
शहंशाह अकबर बीरबल से मुखातिब हुए और बोले : देख लो बीरबल तुम्हारे लिए एक और चुनौती आ गई ,
बीरबल : जी जहांपनाह,
और बीरबल ने वह पोटली ली और कहा आप सभी हमारे साथ आए बगीचे में , और आम के पेड़ के नीचे वह पोटली खोल के रख दी ,
दरबारी : आप यह क्या कर रहे है ?
बीरबल : यह आपको कल पता चलेगा !
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अगली सुबह जब सब आए तो बस रेत ही बची थी ,
सब चौंकते हुए बोले चीनी कहा है ?
बीरबल : चीनी का एक – एक दान अलग हो गया है ,
वह सारी चीनी के टुकड़े चींटियां ले गई , कुछ चींटियां तो अभी कुछ टुकड़ों को घसीट के ले जा रही थी ,
शहंशाह अकबर ( हस्ते हुए बोले ) : कबीले तारीफ बीरबल ,
और उस दरबारी को कहा अगर तुम्हे चीनी चाहिए तो उन चींटियों से ले लो और सभी दरबारी इस बात पे हस पड़े ,
आशा करते है यह कहानी अच्छी लगी हो आपको , धन्यवाद !
10.जो होता है अच्छे के लिए होता है : Akbar Birbal ki Hindi Kahaniyan

सुबह का समय है , शहंशाह अकबर छत पे खड़े ताज़ी हवा का आनंद ले रहे थे , तभी गलती से उनका पैर दीवार पे लगता है उस दीवार पे एक कील लगी हुई थी , वह कील शहंशाह अकबर के पैर में लग जाती है और खून बहने लगता है , वह अचानक सभी सिपाहियों को आवाज़ देते और सारे सिपाही मिल कर उन्हें वैध जी के पास ले जाते है , सारे दरबारी उपस्थित हुए और बीरबल भी ,
सभी दरबारियों ने सहनुभूती जताया , तभी
बीरबल बोले : जहांपनाह ! चिंता ना करे जो होता है अच्छे के लिए होता है ,
शहंशाह अकबर ( गुस्से में ) : बीरबल ! हमारे पैर में कील घुस गई और खून बंद नहीं हो रहा है और आप कह रहे है जो होता है अच्छे के लिए होता है ,
तभी सभी दरबारियों में से एक मंत्री ने बोला : बीरबल यह आपकी खुश किस्मती है जो जहांपनाह ! दिल के अच्छे है नहीं तो आपको यहां से कब का रवाना कर दिया जाता ,
बीरबल : किंतु जहांपनाह !
शहंशाह अकबर : हमे कुछ नहीं सुनना बीरबल आपको हम कुछ दिनों तक बर्खास्त करते हैं ,
राज वैध ने शहंशाह अकबर की पट्टी कर दी और खून बहाना बंद हो गया ,
अब शाम के समय ,
शहंशाह अकबर ( मन ही मन ) : बीरबल कैसे एशा कर सकते है , जो होता है अच्छे के लिए होता , इन सब में हमने अपना पूरा दिन ख़राब कर लिया,
अपने एक सिपाही को बुलाया और कहा हम जंगल में सैर करने जाएंगे ,शहंशाह अकबर निकल पड़ते है ,
शहंशाह अकबर बहुत तेज़ अपने घोड़े को दौड़ाते है , साथ ही साथ सिपाही भी उनके साथ होते है ,
कुछ समय बाद ,
शहंशाह अकबर एक अलग रास्ते पे चले जाते है , सिपाहियों को वह नज़र ही नहीं आते है ,
उनमें से एक सिपाही यह रास्ता तो उन आदिवासियों को है कहीं इसी रास्ते पे तो शहंशाह अकबर नहीं चले गए?
सिपाही : अब कुछ नहीं कर सकते एक काम करो सभी लोग अलग – अलग दिशा में चलते है ,
अब हम यह देखते है कि शहंशाह अकबर अपने घोड़े पे सवार काफी आगे आ गए है , कुछ आदिवासी झाड़ियों में छुपे है है ,
जैसे ही शहंशाह अकबर थोड़ा आगे बढ़ते है तभी सारे आदिवासी उन्हें घेर लेते है , और अपने भाषा में कहने लगते है , बली देवता को खुश करना है ,
शहंशाह अकबर : हमे छोड़ दो , हम शहंशाह अकबर है
सभी आदिवासी उनके हाथ पैर बांध कर ले जाते है,
शहंशाह अकबर बस यही सोच रहे थे अब किया होगा या खुदा ! ,
रात होते ही ,
उनके कबीले का सरदार कहता है देवता खुश हो जाएंगे ,
और हसने लगते है तभी
कबीले का सरदार : इनके कपड़े बदलो थोड़ी देर बाद जैसे ही उनके कपड़े बदले जाते है ,
कबीले का सरदार देखता है शहंशाह अकबर के पैर पे पट्टी लगी है और पट्टी में खून था जब पट्टी हटाई तो देखा वो जख्मी थे ,
कबीले का सरदार : नहीं देते हम अपने देवते को अस्वस्थ शरीर बली में , तुम भाग्यशाली हो , इस जख्म की वजह से हम तुम्हारी बली नहीं दे सकते है ,
और शहंशाह अकबर कपड़े पहन महल में लौटते है , और सूचना देते है कि सभी सिपाहियों को बोले हम लौट आए है , हमे ना ढूंढ़े और बीरबल को अपने कक्ष में बुलवा देते है ,
बीरबल : जी हुजूर ,
शहंशाह अकबर : हां, बीरबल तुमने सही कहा था ” जो होता है अच्छे के लिए होता ” ,
मौत के मुंह से बच के वापस आ रहे है बीरबल !
( शहंशाह अकबर ने सारी बात बताई बीरबल को ! ) ,
मगर शहंशाह अकबर बोले : बीरबल हमने तुम्हे बर्खास्त कर दिया था यह तुम्हारे लिए कैसे अच्छा हुआ ,
बीरबल : जहांपनाह ! आप जब भी जाते है सैर पे मुझे साथ ले जाते है अगर आज में आपके साथ जाता तो आप तो बच जाते मगर में तो स्वास्थ्य था वह मेरी बली दे देते अपने देवता को !
शहंशाह अकबर : सही कहा बीरबल तुमने ” जो होता है अच्छे के लिए होता ” ,
और दोनो साथ में हसने लगे और यह कहानी यहां समाप्त हुई ,
कहानी से सीख :
हम अक्सर अपनी छोटी – छोटी समस्या से परेशान रहते है , भरोसा रखे उपर वाले पे उन्होंने आपके लिए जरूर कुछ अच्छा सोचा है ,
सकारात्मक सोचे ! ” जो होता है अच्छे के लिए होता ” ( Jo Hota hai Acche ke liye hota hai ) .
निष्कर्ष :
दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको ” बीरबल की बुद्धिमानी के 10 शानदार किस्से – Akbar Birbal Stories” शीर्षक वाली यह अकबर बीरबल की कहानियां पसंद आई होगी , ऐसी और भी “अकबर बीरबल की कहानी “, ” Birbal Ke Kisse” ,”Birbal ki kahani”.” बीरबल की बुद्धिमानी ” की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे , धन्यवाद !
