हरा घोड़ा – अकबर बीरबल की कहानियां

अक्सर ही शहंशाह अकबर ,बीरबल को अलग – अलग चुनौती देते रहते थे , और वह बस यही चाहते थे कि एक बार बीरबल असफल रहे जवाब देने में मगर हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ती थीं, बीरबल गुत्थी किसी तरह से सुलझा ही देते थे ,
मगर हरा घोड़ा ढूंढने की इस अकबर बीरबल कहानी में शायद बीरबल फंस जाते आइए पढ़ते है यह मज़ेदार कहानी को ,
शहंशाह अकबर दरबार में बैठे बस यह सोच ही रहे थे की बीरबल को कैसी चुनौती दी जाएं,
तभी उन्हें ख्याल आता है सभी दरबारी बीरबल से ईर्ष्या करते है यह जरूर कुछ बता सकते है ,
और दरबारियों से पूछने लगते है आप लोगों ने अपने बीते सप्ताह में क्या – क्या किया ?
एक दरबारी जहांपनाह , में बीते हुए सप्ताहों में बाहर गया था , तो दूसरे दरबारी ने बताया जहांपनाह मैने नईं लेख लिखे है ,
शहंशाह अकबर ( मन ही मन ) : कोई भी काम का नहीं है ,
तभी ,
तीसरा दरबारी : जहांपनाह, मेरे बच्चे ने एक बार हरे घोड़े की मांग की मेने काले घोड़े पड़ हरा रंग लगा के अपने बच्चे को दिया , और वह खुश हो गया ,
शहंशाह अकबर : हरा घोड़ा ! हरा घोड़ा , मिल गया और तीसरे दरबारी को कहा अपने बहुत सही किया और प्रशंसा करी ,
अब कुछ देर बाद ,
शहंशाह अकबर : बीरबल हम चाहते है आप हमारे लिए हरा घोड़ा लाए ! ध्यान रहे मगर वह सच में होना चाहिए ऐसा नहीं कि आपने उसे पे हरा रंग किया हो !
अब सभी व्यक्ति जानते थे हरा घोड़ा होता ही नहीं है , घोड़े या तो सफेद , काले या भूरे होते है ,
बीरबल : जी जहांपनाह , में अवश्य हरा घोड़ा (Hara Ghoda) लाऊंगा ! मगर मेरी कुछ शर्ते है ,
शहंशाह अकबर : बताए बीरबल कैसी शर्ते , हमे मंजूर है,
बीरबल : जहांपनाह , हरा घोड़ा सिर्फ खास जगहों पे मिलता है , ऐसा जगह जहां सूरज की किरणे उस जमीन आ कर वापस लौट जाती हो और ऐसा हुआ हो कि एक भी बच्चा उस जमीन पे रोते हुए पैदा ना हुआ हो !
शहंशाह अकबर : यह किया बेतुकी बात कर रहे हो बीरबल ऐसी कोई जगह नहीं होती !
बीरबल : जी जहांपनाह , इसी तरह हरा घोड़ा भी नहीं होता ,
शहंशाह अकबर ( मन ही मन ) : बीरबल इस बार तो हम आपको पछाड़ के ही रहेंगे
शहंशाह अकबर : बीरबल हम कुछ नहीं जानते आपने पहले स्वीकार किया था ,आपको हरा घोड़ा लाना हो होगा,
बीरबल ( शांत हुए और बोले ) : जहांपनाह ! मुझे कुछ मोहलत दे ,
शहंशाह अकबर : ठीक है हम तुम्हे सात दिन की मोहलत देते है, आठवें दिन तुम्हे हरा घोड़ा लाना होगा ,
बीरबल : जी जहांपनाह !
बीरबल मुश्किल में आ गए थे उन्हें लगा इस बार वह शहंशाह अकबर को समझाने में असफल रहे , जानिए आगे क्या हुआ हरा घोड़ा और बीरबल की बुद्धिमानी से आगे इस कहानी में ,
सात दिन बीत गए ,
शहंशाह अकबर : इस बार तो बीरबल को हार माननी ही पड़ेगी ,
अब अगले दिन ,
शहंशाह अकबर : बीरबल कहा है हरा घोड़ा ?
बीरबल : जहांपनाह , हमे हरा घोड़ा मिल गया है ,
यह सुनते ही सभी दरबारी और शहंशाह अकबर के होश उड़ गए ,
शहंशाह अकबर ( चौंकते हुए बोले) : कहा है बीरबल हरा घोड़ा ?
बीरबल : जहांपनाह , घोड़े के मालिक ने दो शर्ते रखी है और कहा है अगर आप अगर यह दो शर्ते पूरी कर देते है तो आप हरे घोड़े को देख सकते है ,
शहंशाह अकबर : जिज्ञासा में कैसी शर्ते ,
बीरबल : पहली शर्त उस घोड़े को देखने के लिए उसे आपको लेने जाना होगा ,
शहंशाह अकबर : ठीक है यह तो सरल है दूसरी शर्त किया है बीरबल ?
बीरबल : जहांपनाह , उस घोड़े को देखने के लिए हफ्ते में सात दिनों के अलावा किसी और खास दिनों में ही जा सकते है !
शहंशाह अकबर : सोचे और हंसने लगे ,
साथ में बीरबल भी हसने लगे और शहंशाह अकबर ने कहा ! बीरबल वाकई में तुम्हारा कोई जवाब नहीं ,
कहानी से सिख :
सब जानते थे हरा घोड़ा होता नहीं फिर भी यह कहानी आपको शुरू से अंत तक पढ़ने में मजेदार है ,और यह कहानी यह सिखाती है कि अगर सोच समझ के जवाब दिया जाए तो बेहतर है और हमें उनके पीछे नहीं भागना चाहिए जिनका अस्तित्व है ही नहीं , क्योंकि बाद में अपनी ख्यालों की दुनिया से निकलते है तो दुख ही होता है , हमे हमेशा अपने और वास्तव में किया है उसका परिचय करने आना चाहिए , धन्यवाद !
निष्कर्ष :
दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको ” हरा घोड़ा (Hara Ghoda) – अकबर बीरबल की कहानी : Akbar Birbal Stories ” शीर्षक वाली यह “Akbar and Birbal Stories” पसंद आई होगी , ऐसी और भी “अकबर बीरबल की कहानी “, ” Birbal Ke Kisse” ,” बीरबल की बुद्धिमानी ” की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे , धन्यवाद !