बैठो पीठ पर

एक सुबह जब महाराज कृष्णदेव राय उठे तो उन्होंने देखा कि उनकी हाथों में जो अंगूठी है उसका हीरा नहीं है वह बहुत बहुमूल्य हीरा था , महाराज परेशान हो गए उन्होंने अचानक सभी सैनिकों और सेवकों को यह बात बताई ,
पूरे महल का कोना- कोना ढूंढो वह हीरा मिलना चाहिए ,
वह हीरा महाराज कृष्णदेव राय के लिए महत्वपूर्ण था वह हीरा महाराज को एक संत ने दिया था और कहा था यह आपको संयम रखने में मदद करेगा और आपके जो शत्रुओं से होने वाले छल कपट से बचाव करेगा और बुरी नजर से बचने में सहायता करेगा !
उनके मस्तिष्क में अलग अलग तरह की शंका होने लगी
महाराज कृष्णदेव राय ने ऐलान किया जो कोई भी उस अंगूठी का हीरा ढूंढ के देगा हम उन्हें मुंह मगा इनाम देगे ,
सब लोग उस हीरे को दूढ़ने लगे ,
अगली सुबह ,
संयोग से वह हीरा महल के जमादार को मिला उस जमादार ने महाराज को सौंपा , महाराज को सकून मिला
महाराज : मांगो, किया मांगते हो वह सब मिलेगा तुम्हे ,
वह कुछ समझ नहीं पा रहा था किया मांगे
जमादार : महाराज कृपया आप मुझे एक दिन की महलोत दे ,
महाराज : ठीक है आप कल दरबार में आए और मांगे ,
इस दौरान महा मंत्री के मस्तिष्क में खुराफाती विचार आ रहे थे , उन्होंने सेनापति को बुलाया और कहां
मंत्री : देखो वह जमादार कल वह ही मांगेगा जो हम कहेंगे ;
सेनापति : किया पर क्यों ?
मंत्री : देखो वह जमादार कल यह मांगेगा की
तेनाली रामा के पीठ पे बैठ कर पूरे बाज़ार का सैर करना चाहता है इससे वह तेनाली का जुलुस निकलेगा ,
महाराज मना नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने मुंह मांगा इनाम कहां है ,
सेनापति प्रसन्न हुए बोले यह अच्छी योजना है ,
उसी शाम सेनापति ने जमादार को बुलाया और कहा क्या सोचा है कल किया मांगोगे
जमादार : सेनापति जी , अभी कुछ सोचा नहीं है
सेनापति : कल तुम वह मंगोंगे जो हम कहंगे
उन्होंने उसे पास बुलाया और एक स्वर्ण मुद्रा से भरा हुआ थैला दिया , यह लो इसमें हज़ार स्वर्ण मुद्रा है
जमादार : क्या , कुछ होगा तो नहीं डरते हुए बोला ,
सेनापति : अगर नहीं मांगा तो तुम्हे हम जान से मार देंगे
अब अगली सुबह दरबार में,
जमादार नए कपड़े पहन आया वह गुमसुम था ,
महाराज : बोलो किया मांगते हो ?
जमादार : महाराज , में तेनाली रामा के पीठ पे बैठ कर बाज़ार का सैर करना चाहता हूं
महाराज ( गुस्से में ) : यह किया मांग रहे हो , तुम होश में तो हो ,
जमादार ( डरते हुए ) : जी महाराज !
महाराज : एक काम करो कल तुम दरबार में आओं,
अब महाराज कुछ कर भी नहीं सकते थे , उन्होंने मुंह मांगा इनाम की बात की थी , वह मन ही मन सोचते है कुछ और तेनाली रामा से मिलते है ,
उन्होंने सारी वह बात बताई तेनाली रामा को,
और कहां हम तो मुश्किल में आ गए है रामा ,
अब किया करें हम ?
तेनाली रामा : अब चिंता ना करें महाराज अब जो करना है में ही करूंगा ,
अगली सुबह दरबार में ,
सभी उपस्थित हुए और तेनाली रामा ने ज़ोर से कहा सभी बन्धुओ सुनो इस जमादार ने महाराज की अंगूठी का हीरा ढूंढ के सौंपा है ,
और इसके बदले में यह मेरी पीठ पे सवार हो कर बाज़ार का सैर करना चाहते है ,
अब महाराज ने वचन दिया है तो उसकी लाज़ रखने के लिए में तैयार हु
और जमादार से कहा आंओं मेरे पीठ पे सवार हो ,
अब
वह जमादार पीठ पे सवार होने के लिए जैसे ही उनके बाही पे हाथ डालते है ,
तेनाली रामा : यह किया बेहूदगी है ,
तुमने मेरे पीठ पे बैठने की बात की थी , तुम गले में हाथ डाल कर नहीं बैठ सकते ,
पीठ पर बैठो बगैर बिना कुछ पकड़े ,
एक ही पल में पूरे दरबार का माहौल बदला गाय
जमादार ( डरते हुए बोला ) : बिना कुछ पकड़े कैसे बैठा जा सकता है पीठ पे ?
तेनाली रामा ( ज़ोर ज़ोर से ) : यह बात उसी से पूछो जिसके कहने पे तुमने मेरे पीठ पे बैठने की बात कहीं थी ,
तेनाली रामा आंखे बड़ी कर उसे देखने लगा ,
जमादार पूरी तरह से डर गया वह कभी महराज को देखता तो कभी सेनापति को ,
अचानक वह महाराज के पैरो में जा गिरा और
जमादार : महराज मुझे माफ करे , मुझे जान से मारने के धमकी दे दी गई थी,
मेने सेनापति के कहने पे यह सब किया था ,
महाराज सेनापति की यह करतूत सुन आग – बबूला हो गए और कहा
मंत्री जी सेनापति को पांच दिनों के लिए दरबार से मुआत्तल ( बाहर ) किया जाता और छठे दिन सब के सामने तेनाली रामा से माफी मांगनी होगी सब के सामने ,
यह कहकर वह अपने सिंहासन से उठ गए मतलब सभा खतम हुई ! .
और मंत्री इस बार भी तेनाली का कुछ ना कर पाए ,

निष्कर्ष :
दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको ”Tenali Rama Stories – बैठो पीठ पर ” शीर्षक वाली यह Tenali Rama story पसंद आई होगी , ऐसी और भी Tenali Rama ke kisse की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे.