अकबर बीरबल की कहानियां :
आज के पोस्ट का शीर्षक है ” अकबर बीरबल की कहानियां ” इस पोस्ट बेहतरीन अकबर बीरबल की कहानियां है जो आपको आंनद के साथ ही साथ आपको जीवन के सच्ची नैतिक शिक्षा भी देती है , और साथ ही साथ यह बताती है धैर्य और संयम से किया हुआ काम का परिणाम हमेशा सफल ही होता,बच्चों को अकबर और बीरबल के जीवन की रोचक और कभी-कभी मज़ेदार घटनाएँ सुनने में बहुत मज़ा आता है, और इसलिए ये बच्चों के लिए सोने से पहले की बेहतरीन कहानियाँ हैं,जिसे वे जीवन भर ध्यान में रख सकते हैं,अब बिना कोई देरी किए बगैर चलिए शुरू करते है अकबर बीरबल के मज़ेदार हिंदी कहानियां
सब एक जैसा सोचते है : अकबर बीरबल की कहानियां

एक बार की बात है शहंशाह अकबर सभी दरबारियों से एक विषय में विचार – विमर्श कर रहे थे उन्होंने ध्यान दिया कि सभी दरबारियों के जवाब अलग है , कुछ समय बाद सभा खत्म हुई ,
अब शाम के समय ,
शहंशाह अकबर बाग में टहल रहे थे , सुबह में जो सभी दरबारी अलग – अलग जवाब दे रहे थे एक विषय पर उसके बारे में सोच रहे थे ,
कुछ पश्चात् शहंशाह अकबर ने बीरबल को एक सिपाही द्वारा बुलाया ,
शहंशाह अकबर : बीरबल ऐसा क्यों है सब अलग अलग क्यों सोचते है सबके विचार आपस में क्यों नहीं मिलते ,
बीरबल : हर बार ऐसा नहीं होता जहांपना , कई ऐसी समस्याएं होती है , जिसमें हर कोई व्यक्ति एक सामान सोचता है ,
शहंशाह अकबर : ऐशा कौन सी समस्या होती है ?
बीरबल बाग में स्थित एक कुएं की और इशारा करते है और कहते , वह देखिए जहांपनाह ,
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शहंशाह अकबर ( मन ही मन सोचते है ) : एक कुआं यह कैसे संबंधित है इन सवालों से और जिज्ञासा में बीरबल से कहा हमें कुछ समझ नहीं आ रहा बीरबल ,
बीरबल : सब कुछ समझ जाएंगे आप जहांपनहा ,
आप एक शाही फरमान जारी कराए कि बाग में स्थित कुएं में हर कोई व्यक्ति एक लौटा दूध डाले , हमारा राज्य बहुत बड़ा है , हर व्यक्ति एक लौटा दूध डाले तो यह भर जाएगा ,
इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि हर घर से एक व्यक्ति जरूर आए और साथ लौटे में दूध भी जरूर लाएं ,
सभी व्यक्ति लंबी लाइन में लगे थे और कुएं में एक लौटा दूध डाल रहे थे , यह सब शहंशाह अकबर और बीरबल दूर से देख रहे थे ,
अब अगली सुबह ,
शहंशाह अकबर और बीरबल उसे कुएं के पास जाते है ,
और देखते है कुआं पूरी तरह से भरा हुआ था मगर , दूध से नहीं पानी से !
शहंशाह अकबर ( चौंकते हुए बोले ) : बीरबल फरमान तो हमने दूध डालने का किया था सभी व्यक्तियों ने पानी क्यों डाला , दूध क्यों नहीं डाला !
बीरबल ( हस्ते हुए ) : जहांपनाह, यही बात में आपको बताना चाहता था एसे ही कई सारी समस्या होती जिसमें सभी व्यक्ति एक जैसा सोचते है , उदाहरण : हर एक व्यक्ति जानते थे कुआं में दूध डालना एक व्यर्थ , दूध कीमती है और किसी को क्या ही पता चलेगा एक लौटा दूध के बजाय हम पानी डाल रहे है , सभी ने इसी तरह सोचा और ,
यह ही कारण है का कुआं पानी से भरा है बजाया दूध के ,
शहंशाह अकबर : शाबाश बीरबल , फक्र है हमे तुम पे ,
तुमने सही कहा दूध बहुत कीमती है उनके लिए जो एक समय का खाना भी सही से नहीं खा पाते,
और पूरे राज्य में दावत करवाते है ताकि जो भी गरीब है उन्हें भर पेट खाना मिले ।
रेत और चीनी : अकबर बीरबल की कहानियां

सभा में हसी ठहाके चल रहे थे तभी एक दरबारी खड़े हुए और बोले , जहांपनाह, में बीरबल को चुनौती देना चाहता हु ,
शहंशाह अकबर : चुनौती ! कैसी चुनौती ?
दरबारी : मेरे पास एक पोटली है जिसमें रेत और चीनी मिले हुए है हम चाहते है , की बीरबल चीनी का एक – एक दान अलग करे रेत से ,
शहंशाह अकबर बीरबल से मुखातिब हुए और बोले : देख लो बीरबल तुम्हारे लिए एक और चुनौती आ गई ,
बीरबल : जी जहांपनाह,
और बीरबल ने वह पोटली ली और कहा आप सभी हमारे साथ आए बगीचे में , और आम के पेड़ के नीचे वह पोटली खोल के रख दी ,
दरबारी : आप यह क्या कर रहे है ?
बीरबल : यह आपको कल पता चलेगा !
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अगली सुबह जब सब आए तो बस रेत ही बची थी ,
सब चौंकते हुए बोले चीनी कहा है ?
बीरबल : चीनी का एक – एक दान अलग हो गया है ,
वह सारी चीनी के टुकड़े चींटियां ले गई , कुछ चींटियां तो अभी कुछ टुकड़ों को घसीट के ले जा रही थी ,
शहंशाह अकबर ( हस्ते हुए बोले ) : कबीले तारीफ बीरबल ,
और उस दरबारी को कहा अगर तुम्हे चीनी चाहिए तो उन चींटियों से ले लो और सभी दरबारी इस बात पे हस पड़े ,
आशा करते है यह कहानी अच्छी लगी हो आपको , धन्यवाद !
ऊंट की गर्दन : अकबर बीरबल की कहानियां

एक बार की बात है ,शहंशाह अकबर बीरबल से बहुत प्रसन्न थे , बीरबल ने कई सारे चुनौतियां को स्वीकार कर उन्हें पूर्ण किया और राज्य मैं के कई जगह चर्चे भी हो रहे थे ,
एक दिन शहंशाह अकबर ने बीरबल को तालाब के किनारे वाली जमीन देने की घोषणा करते है ,
इस बात से बीरबल बहुत खुश हुए मगर कई हफ्ते बीत गए और बीरबल को उस जमीन के कागज़ नहीं मिले ( मतलब वह पुरुस्कार मिला ही नहीं ) अब बीरबल बड़ी उलझन में आ गए कि वह बात कैसे शहंशाह अकबर को याद दिलाए,
कुछ दिनों बाद ,
शहंशाह अकबर और बीरबल यमुना नदी किनारे सैर करने जाते है , शहंशाह अकबर ने वहां एक ऊंट को घूमते देखा ,
शहंशाह अकबर : बीरबल यह ऊंट की गर्दन मूरी हुई क्यों होती है ?
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बीरबल : जहांपनाह,
कुछ ही देर बाद वह सोचते है यह अच्छा विचार है ,
और कहते है , जहांपनाह यह ऊंट किसी से वादा कर के कुछ भूल गया था इसी कारणवश इस ऊंट की गर्दन मुड़ी हुई है जहांपनाह !
यह बात शहंशाह अकबर को सोच में पड़ जाते है ( वादा कर के कुछ भूल गया है ) तभी उन्हें अपना वादा याद आता है और कहते है बीरबल कल तुम्हे तुम्हारा पुरुस्कार मिल जाएगा और हस्ते हुए कहते क्यों बीरबल अब तो हमारी गर्दन ऊंट की तरह मुड़ेगी तो नहीं !
बीरबल ( हस्ते हुए ) : जहांपनाह !
और यह कहानी यही ही समाप्त होती है , आशा करते यह कहानी अच्छी लगी होगी आपको धन्यवाद !
निष्कर्ष :
आशा करता हु आपको यह ” अकबर बीरबल की कहानियां ” अच्छी लगी हो , हमने इस पोस्ट में कोशिश की आपको अकबर बीरबल की अच्छी कहानियां पढ़े जो आपके लिए आनंद से भरी हो और साथ में कुछ ऐसी जो आपको नैतिक शिक्षा दे , ऐसे और भी अकबर बीरबल की कहानियां पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग वेबसाइट पे बने रहे , धन्यवाद !