आम का पेड़-The Mango Tree
शहंशाह अकबर का राज्य बहुत बड़ा था हर दिन कोई ना कोई समस्या आती ही रहती थी, मगर एक समस्या जब आम के पेड़ से जुड़ी हुई थी आइए पढ़ते है ,यह मज़ेदार अकबर बीरबल की कहानी – ” आम का पेड़ “

एक आम का पेड़ जो की दो घर के बीचों बीच था , वह दोनों घर के व्यक्ति आपस में अक्सर ही छोटी – छोटी बातों पे लड़ते रहते थे,
एक व्यक्ति का नाम कैलाश था तो दूसरे व्यक्ति का नाम केशव ,
कुछ समय बाद उस पेड़ पे आम आने लगे, केशव जा कर पेड़ के आम खाने लगा तो कैलाश ने कहा यह मेरा आम का पेड़ तुम्हारा नहीं ,
केशव : यह मेरा आम का पेड़ है,
और दोनों अपनी ही राग पे झगड़ने लगे इस बार यह झगड़े आपस में इतने बढ़ गए की यह समस्या दरबार में जा पहुंची ,
जब शहंशाह अकबर ने यह आम के पेड़ की समस्या सुनी तो वह खुद चौंक गए की आम का पेड़ किसका है कैसे पता लगाया जाए, आम का पेड़ दोनों व्यक्तियों के घर के बीचों बीच था ,
अब शहंशाह अकबर बीरबल से मुखातिब हुए : बीरबल अब आप ही पता लगाए कि यह आम का पेड़ किसका है ?
बीरबल : जी जहांपनाह ,
आप दोनों व्यक्ति अभी अपने – अपने घर जाए मुझे कुछ समय दे सोचने के लिए आम का पेड़ किसका है !
अब शाम के समय ,
बीरबल ने अपने रघु काका जो उनके यहां काम करते थे ,
उन्हें कहा कि आप दोनों व्यक्तियों के घर जाए , और दोनों को सूचना दे की चोर आम चुरा रहा है ,
और यह सूचना के बाद दोनों व्यक्तियों की प्रतिक्रिया क्या है वह मुझे बताए ,
अब अगले दिन सुबह ,
बीरबल : हम अभी तक यह तय नहीं कर पाए है कि वह आम का पेड़ किसका है , हम एक काम कर सकते है उस आम के पेड़ को काट देंगे और लकड़ियों को बराबर हिस्सों में दोनों व्यक्तियों के बांट देंगे ,
कैलाश : आपने एकदम सही कहा , बीरबल जी ,
कैलाश ( मन ही मन ) : यह तो अच्छा है कुछ पैसे को इंतजाम हो जाएगा !
केशव : बीरबल जी , कृपा आप ऐसा मत करे , में वह पेड़ कैलाश को देने के लिए तैयार हूं मगर उस आम के पेड़ को मत कटवाए उस आम के पेड़ के साथ अपना बचपन बिताया है , वह मेरा बचपन का साथी है ,
बीरबल : एकदम सही केशव वह आम का पेड़ तुम्हारा ही है ,
कैलाश : मगर यह बात तो में भी बोल सकता हु जहांपनाह ! तो इससे क्या यह आम का पेड़ मेरा नहीं है ,
शहंशाह अकबर : बीरबल यह बात उचित है यह बात तो कोई भी बोल सकता है ,
बीरबल : जी जहांपनाह मगर मालिक केशव ही है , क्योंकि मेने कल शाम एक सूचना दी थी दोनों व्यक्तियों को ,
की चोर आम के पेड़ से आम चुरा रहा है ,
कैलाश ने कुछ भी नहीं किया , मगर केशव ने उस चोर को जा कर भगाया !
और किसी भी चीज़ की हम तभी रक्षा करते है जब वह चीज़ हमारी होती है, जो कि केशव ने करी , ना की कैलाश ने ,
कैलाश : मुझे माफ कर दे जहांपनाह ! वह आम का पेड़ केशव का ही है ,
कैलाश तुम्हे झूठ बोलने और केशव के साथ बेवजह झगड़ने के लिए इनाम के तोड़ पे कुछ पैसे केशव को देने होंगे !
शहंशाह अकबर : शानदार बीरबल , हमे तुम से यहीं उम्मीद थी , तुम्हारा कोई जवाब नहीं बीरबल!
निष्कर्ष :
दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको ” आम का पेड़ – अकबर बीरबल की कहानियां : Akbar Birbal Stories ” शीर्षक वाली यह “Akbar and Birbal Stories” पसंद आई होगी , ऐसी और भी “अकबर बीरबल की कहानी “, ” Birbal Ke Kisse” ,” बीरबल की बुद्धिमानी ” की कहानी पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग www.Sagadoor.in पर बने रहे , धन्यवाद !