Hindi Panchatantra Stories
आज हम पंचतंत्र की मज़ेदार और सीख देने वाली कहानियाँ पढ़ेंगे, जो हमें समझदारी, चालाकी और अच्छाई की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देते हैं।। जैसे कि दो बिल्लियाँ और बंदर की कहानी, बंदर और मगरमच्छ, तथा तीन मूर्ख पंडित जैसी पंचतंत्र कहानियाँ ( Panchatantra Stories ) जो बच्चों को ज्ञान के साथ मनोरंजन भी देती हैं। बिना देरी किए बगैर चलिए साथ में पढ़ते है यह मज़ेदार हिंदी कहानियां ।
1.दो बिल्लियां और बंदर : पंचतंत्र की हिंदी कहानियां

एक छोटे से गाँव के पास हरा-भरा जंगल था। उसी जंगल में मीना और रीना नाम की दो बिल्लियाँ रहती थीं। दोनों एक साथ दिन-रात खेलती और चलती-फिरती रहतीं थीं। दोनों अच्छी दोस्त थीं, लेकिन कभी-कभी बहुत छोटी-छोटी बातों पर झगड़ भी लेती थीं। एक दिन दोनों को रास्ते पे एक ताजी रोटी का टुकड़ा मिला।
मीना खुश होकर बोली, “वाह! यह तो मेरी रोटी है, इसे पहले मैंने देखा है। “
रीना ने उसे तुरंत मना कर दिया, “ नहीं-नहीं मैने इसको पहले उठाया, इसलिए यह मेरी रोटी है। “
कुछ ही समय बाद, दोनों बिल्लियाँ एक-दूसरे से बिल्कुल ज़ोर-ज़ोर से झगड़ने लगी। कोई भी रोटी बाटने को तैयार नहीं थी। तभी रीना ने कहा, देखो पेड़ पे बैठा बंदर, वह शायद सही फैसला करेगा। और फिर दोनों गई बंदर के पास। वहां पर बंदर पेड़ पर बैठा हुआ केला मज़े से खा रहा था।
बिल्लियाँ ने पूरी कहानी सुनाई। बंदर ने सर हिलते हुए कहा- चिंता मत करो! मैं न्यायप्रिय हूँ और मैं इस रोटी को बराबर-बराबर बाँट दूँगा। उसने रोटी को दो टुकड़ों में तोड़ा। लेकिन फिर भी एक टुकड़ा थोड़ा बड़ा हो गया। बंदर ने बहुत जोर से बोला- अरे हो..यह तो ज्यादा हो गया है। न्याय के लिए मुझे थोड़ा खाना पड़ेगा और उसने थोड़ा सा हिस्सा को खा लिया। अब तो दूसरा टुकड़ा और भी बड़ा दिखने लगा। बंदर फिर जोर से बोला- अरे़… “अरे यह तो बड़ा हो गया। इसे भी बराबर करना पड़ेगा,” उसने फिर थोड़ा सा हिस्सा को खा लिया। मीना और रीना एक-दूसरे के मुँह की ओर देखने लगीं। मीना बोली, “लगता है कुछ गड़बड़ है। ” रीना बोली, “ हाँ, लेकिन अब क्या करूँ? बंदर बार-बार कभी एक टुकड़े से, कभी दूसरे से खाता रहा। थोड़ी देर में पूरी रोटी खत्म हो गई |
बंदर पेट सहलाते हुए बोला,
“लो! अब दोनों हिस्से बराबर हो गए। न्याय हो गया!”
और हँसता हुआ पेड़ पर चढ़ गया।
दोनों बिल्लियाँ शर्मिंदा हो गईं।
रीना ने धीरे से कहा, “काश हमने आपस में झगड़ा न किया होता।”
मीना बोली, “हाँ, मिलकर बाँट लेते तो अच्छा होता।”
दोनों ने सबक सीखा और दोस्ती बनाए रखने का फैसला किया।
सीख: आपसी झगड़े में हमेशा कोई तीसरा फायदा उठा लेता है। मिल-जुलकर रहना ही समझदारी है।
2.बुद्धिमान खरगोश और घमंडी शेर : Panchatantra Stories

एक घने जंगल में शेर रहता था। वह बहुत ही ताकतवर था। वह बहुत अहंकारी था। उसने बिना किसी कारण के जंगल में सभी जानवरों को डरा दिया और उसने कई गुणा शिकार किया। सभी जंगल के जानवर शेर से परेशान थे।
एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर फैसला किया कि प्रतिदिन एक जानवर शेर के पास भेजा जाएगा ताकि उन्हें बचाया जा सके। कुछ दिनों तक इसी तरह चलता रहा । एक दिन छोटे से खरगोश को भेजा गया।
खरगोश बहुत देर से पहुंचा, शेर ने ( गुस्से से पूछा ) : तुम्हे इतनी देर क्यों हुई ?
फिर खरगोश ने शांतिपूर्वक कहा, “महाराज, मैंने अपने रास्ते में एक शेर से मिला। वह कह रहा था,उसने घोषित किया कि वह इस जंगल का नया बादशाह है।
यह कहकर खरगोश ने शेर को भड़काया और उस जगह ले गया, जहां एक गहरे कुएँ में उसका प्रतिबिंब ( छवि ) दिख रहा था , शेर परछाई देखने के लिए उधर झुका, उसने अपनी परछाई देखी और सोचा कि दूसरा शेर उसने उस परछाई के साथ लड़ने लगा और कुएं में छलांग मार दी , सभी जानवर खुश होने लगे। खरगोश ने अपनी बुद्धि का उपयोग कर सभी को बचा लिया |
सीख: बुद्धि, ताक़त से बड़ी होती है।
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3.बंदर और मगरमच्छ : Hindi Panchatantra Stories

बहुत समय पहले की बात है, एक नदी के किनारे जामुन का एक बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर एक चतुर बंदर रहता था। पेड़ पर मीठे-मीठे जामुन लगते थे, जिन्हें बंदर बड़े मज़े से खाया करता था।
नदी में एक मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ रहता था। एक दिन मगरमच्छ नदी के किनारे आया। बंदर ने उसे देखा और प्यार से बोला,
“मित्र, क्या तुम जामुन खाओगे?”
मगरमच्छ ने कभी इतने मीठे फल नहीं खाए थे। उसने जामुन खाए और बहुत खुश हुआ। धीरे-धीरे बंदर और मगरमच्छ की गहरी दोस्ती हो गई। मगरमच्छ रोज़ जामुन खाने आने लगा।
एक दिन मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी के लिए ले गया।
मगरमच्छ की पत्नी ने जामुन खाए और बोली,
“अगर जामुन इतने मीठे हैं, तो उस बंदर का दिल कितना मीठा होगा!”
मगरमच्छ चौंक गया।
“तुम क्या चाहती हो?”
पत्नी बोली, “मुझे उस बंदर का दिल चाहिए।”
मगरमच्छ बहुत परेशान हुआ, लेकिन पत्नी के दबाव में आ गया। अगले दिन वह उदास मन से बंदर के पास पहुँचा।
बंदर ने पूछा, “क्या बात है मित्र? आज उदास क्यों हो?”
मगरमच्छ बोला, “मेरी पत्नी बीमार है। क्या तुम ढेर सारे जामुन ले कर मेरे साथ मेरे घर चलोगे”
भोला बंदर उसकी बातों में आ गया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठकर नदी पार करने लगा।
नदी के बीच पहुँचते ही मगरमच्छ बोला,
“मुझे माफ करना दोस्त, मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है।”
यह सुनकर बंदर डर गया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। तुरंत बोला,
“अरे! तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरे मित्र
मेरा दिल तो पेड़ पर ही रह गया है। चलो, पहले वापस चलते हैं।”
मगरमच्छ उसकी बातों में आ गया और वापस पेड़ के पास ले आया।
जैसे ही किनारा आया, बंदर फुर्ती से पेड़ पर चढ़ गया।
पेड़ पे चढ़ते हुए ही बंदर आराम से सो गया ,
मगरमच्छ , क्या हुआ मित्र ? , मेरे साथ चलो अपना दिल ले के
पेड़ से बंदर बोला,
“मित्र, तुमने मुझे धोखा दिया है और अब तुम्हे जामुन भी नहीं मिलेंगे।”
मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह शर्मिंदा होकर चला गया।
बंदर सुरक्षित रहा और उसने अपनी बुद्धि से अपनी जान बचा ली।
सीख: बुद्धिमानी और धैर्य से बड़े से बड़े संकट से भी बचा जा सकता है।
अंधा विश्वास हमेशा नुकसान पहुँचाता है।
4.तीन मूर्ख पंडित की कहानी : Panchatantra Stories

बहुत समय पहले की बात है। किसी नगर में तीन ज्ञानी पंडित रहते थे। तीनों ने वेद, शास्त्र और अनेक ग्रंथों का गहरा अध्ययन किया था। उन्हें अपने ज्ञान पर बहुत गर्व था। परंतु उनकी विद्या केवल पुस्तकों तक ही सीमित थी, व्यवहारिक बुद्धि उनमें नहीं थी।
उसी नगर में उनका एक मित्र भी रहता था, जो अधिक पढ़ा-लिखा नहीं था, परंतु उसमें गहरी समझ और व्यावहारिक बुद्धि थी। एक दिन चारों मित्रों ने सोचा कि क्यों न किसी बड़े राजा के पास जाकर अपनी विद्या से धन और सम्मान प्राप्त किया जाए। यह विचार कर वे यात्रा पर निकल पड़े।
रास्ते में एक जंगल आया। जंगल के बीचों-बीच उन्हें शेर की हड्डियाँ पड़ी मिलीं। पहले पंडित ने कहा, “यह अवसर है हमारी विद्या दिखाने का। मैं इन हड्डियों से शेर का ढांचा तैयार कर सकता हूँ।” उसने मंत्रों की सहायता से शेर का शरीर बना दिया।
दूसरे पंडित ने कहा, “अब मैं इसमें मांस और खाल भर देता हूँ।” उसने अपनी विद्या से शेर का शरीर पूर्ण कर दिया।
तीसरे पंडित ने उत्साह में कहा, “अब मैं इसमें प्राण फूँक देता हूँ, जिससे यह जीवित हो जाए।” यह सुनकर उनका व्यावहारिक बुद्धि वाला मित्र डर गया। उसने कहा, “मित्रों, यह बहुत खतरनाक है। यदि शेर जीवित हो गया तो हमें मार डालेगा। पहले किसी सुरक्षित स्थान पर चलें जाते है।”
परंतु तीनों पंडितों ने उसका मजाक बनाने लगे और कहा, “तुम अज्ञानी हो, हमारी विद्या को नहीं समझ सकते।” डर के कारण वह मित्र पास के एक पेड़ पर चढ़ गया।
तीसरे पंडित ने जैसे ही शेर में प्राण डाले, शेर जीवित हो गया। जीवित होते ही उसने तीनों पंडितों पर झपट्टा मारा और उन्हें मार डाला। पेड़ पर बैठा मित्र यह सब देखकर सुरक्षित बच गया।
कुछ समय बाद वह मित्र अपने घर लौट आया और लोगों को पूरी घटना सुनाई।
सीख: केवल ज्ञान ही नहीं, बुद्धि और समझदारी भी ज़रूरी होती है। अहंकार हमेशा विनाश का कारण बनता है।
5. मूर्ख सत्यम : Hindi Panchatantra Stories for Kids

बहुत समय पहले एक गाँव में सत्यम नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह हमेशा सच बोलता था। गाँव वाले उसकी सच्चाई की महिमा करते थे, लेकिन सत्यम को यह समझ नहीं आता था कि कब, कहाँ और कैसे सच बोलना चाहिए। सत्यम गर्व से कहता हैं, “मैं कभी झूठ नहीं बोलता, चाहे कुछ भी हो जाए ।”
एक दिन गांव में एक चोर आया। उसने एक घर से सोना चुराया । चोरी कर वह भाग रहा था । पुलिस वाले ढूंढते आये । पुलिस वाले ने सत्यम से पूछा , “क्या तुमने कोई चोर यहाँ से जाते हुए देखा है ?”
सत्यम ने बिना सोचे-समझे कहा, “हाँ, अभी-अभी एक व्यक्ति को इधर भागते हुए मेने देखा है। उसके पास कुछ थैले थे जो वह ले कर भाग रहा था ।” पुलिस ने उस दिशा में जा कर उस चोर को पकड़ लिया । चोर का बहुत नुकसान हो गया था। उसने सोचा, “इस आदमी ने मेरा भेद बता दिया, मैं इससे बदला लूँगा।” कुछ दिन बाद सत्यम जंगल से लकड़ियाँ लेकर लौट रहा था। रास्ते में वही चोर मिला, जो अब बाहर चुका था ।
उसने छुपकर सत्यम पर हमला करने की सोची। उसी रास्ते से कुछ यात्री गुजर रहे थे। चोर ने सत्यम से छुपते हुए पूछा, “क्या इस रास्ते पर कोई गाँव पास में है?” सत्यम ने फिर बिना सोचे कहा, “नहीं, यहां दूर-दूर तक कोई नहीं आता।”
इससे चोर खुश हो गया और सत्यम पे हमला करने का योजना करने लगा। उसने सोचा कि अब कोई आस – पास नहीं आएगा। लेकिन तभी सत्यम ने आस – पास ध्यान दिया और देखा इधर तो कोई भी नहीं है , उसे थोड़ा डर का एहसास हुआ । उसने मन ही मन कहा, “मैने सच तो बोल दिया, लेकिन ये सच है मेरे लिए ख़तरनाक है।”
तभी उसने ज़ोर से चिल्लाकर कहा, “अरे! गाँव तो बस सामने ही है, और लोग भी धीरे – धीरे आ रहे हैं !” जंगलों में जाने वाले व्यक्तियों ने आवाज सुनी और दौड़कर आ गए। चोर डरकर भाग गया। सत्यम की जान बच गयी। उस दिन सत्यम को बड़ी सीख मिली। उसने सोचा, “सच बोलना अच्छा है, लेकिन बुद्धि के बिना सच्ची बात भी मूर्खतापूर्ण है ।” इसके बाद सत्यम सच बोलता रहता, लेकिन समय, स्थान और परिस्थिति को समझकर।
सीख: सच बोलना अच्छा है, लेकिन बुद्धि के बिना सच्ची बात भी मूर्खतापूर्ण है । लेकिन समय, स्थान और परिस्थिति को समझकर हमे सच बोलना चाहिए।
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निष्कर्ष :
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